नई दिल्ली । भारत में हाल ही में जीडीपी वृद्धि दर और जीएसटी कलेक्शन के दर्ज आंकड़े आए हैं. हालांकि इसी बीच अगस्त में बेरोजगारी की दर बढ़ने की चिंताजनक खबरें भी सामने आई है. देश में बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर रखने वाली निजी संस्था- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर अगस्त में 1.37 प्रतिशत से बढ़कर 8.32 प्रतिशत हो गई. यह जुलाई में 6.95 प्रतिशत थी.
अगस्त में शहरी बेरोजगारी दर 1.5 प्रतिशत के इजाफे के साथ 9.78 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 1.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7.64 प्रतिशत हो गई. देश में काम करने वाले लोगों की संख्या अगस्त में 39.77 करोड़ के आस-पास रही, जोकि जुलाई में 39.93 करोड़ थी. 1 महीने में लगभग 16 लाख लोग बेरोजगार हो गए इनमें सबसे बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों की रही है. हालांकि जानकार इसके पीछे की वजह ख़रीब की फसल की कम बुवाई भी बता रहे हैं.
राज्यों में बेरोजगारी दर
वहीं बात करें राज्यों में बेरोजगारी दर की, तो पता चलता है सिक्किम में 0 है जबकि हरियाणा में सबसे ज्यादा 35.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर है. राजस्थान में बेरोजगारी दर 26.7 प्रतिशत है, जबकि झारखंड में 16.0 प्रतिशत है. बिहार में बेरोजगारी दर 13.6 प्रतिशत है जबकि दिल्ली में 11.6 प्रतिशत है. वहीं उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी दर 7.0 है जबकि उत्तराखंड में 6.2 प्रतिशत है. पंजाब में बेरोजगारी दर 6.0 है जबकि मध्य प्रदेश में 3.5 प्रतिशत है और वहीं गुजरात में 1.6 प्रतिशत है.
बेरोजगारी के मामले में हरियाणा नंबर-1
हरियाणा में लगातार बेरोजगारी बढ़ती ही चली जा रही है. भले ही खट्टर सरकार लोगों को रोजगार देने के लाखों वादे करती हो, नई-नई योजनाएं लाती हो लेकिन CMIE यानी सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा बेरोजगारी के मामले में नंबर-1 पर आ गया है. हरियाणा की बेरोजगारी दर अब 35.7 प्रतिशत हो चुकी है.
क्यों हैं हरियाणा का युवा बेरोजगार?
उद्दोग जगत का हब कहा जाने वाला हरियाणा आज बेरोजगारों की लिस्ट में नंबर-1 पर है. गुरुग्राम और फ़रीदाबाद जैसे शहर हरियाणा में हैं, लेकिन फिर भी हरियाणा दिनों-दिन बेरोजगार होता ही चला जा रहा है. इसकी मुख्य वजह हैं.
- हरियाणा के युवाओं में कौशल विकास में कमी है. उनके पास अच्छा ज्ञान नहीं है.
- हरियाणा की कंपनियों में बाहर के कर्मचारी काम करते हैं. फैक्ट्रियों में ज्यादातर बिहार के मजदूर काम करते हैं.
- ऑटोमोबाइल या टेक्सटाइल कंपनियों में जिन मशीनों का प्रयोग किया जाता है उन लोगों की हरियाणा में उपलब्धता काफी कम है. जिस बड़ी वजह से हरियाणा की कंपनियों में यहां का युवा नौकरी पाने से रह जाता है.
- लॉकडाउन के लगने के बाद से अचानक कई कंपनियां बंद हो गई. उन कंपनियों में काम करने वाले मजदूर ऐसे लोग थे जो रोज कमा कर खाते थे.
- कई कर्मचारियों ने आधे वेतन पर काम किया तो कईयों को नौकरी से ही निकाल दिया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में अब तक 12 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.
- हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य भी है. लेकिन पिछले कुछ सालों में किए गए सर्वे और विशेषज्ञों के अनुसार, हरियाणा में कृषि के क्षेत्र में काफ़ी कमी देखने को मिलीं है. इस वजह से हरियाणा का युवा बेरोजगार है.
गौरतलब है हरियाणा CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारों की लिस्ट में नंबर-1 पर आ गया है. आज हरियाणा के युवा बेरोजगार होते ही चले जा रहे हैं. हरियाणा की फैक्ट्रियों में बाहर के मजदूर काम कर रहे हैं. हरियाणा के लोगों के पास कौशल की कमी है. बता दें हरियाणा सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा, वरना एक दिन हरियाणा में रोज़गार का बहुत बड़ा संकट पैदा हो सकता है.
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