चंडीगढ़ | आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा जल्द ही नई पार्टी ज्वाइन करने वाले हैं. कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया ने बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है और कहा है कि उन्हें आलाकमान से हरी झंडी मिल जाएगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी उन्हें कांग्रेस (Congress) की सदस्यता दिलाएंगे.
दो बार मंत्री और चार बार विधायक रहे निर्मल सिंह को भी लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. हरियाणा कांग्रेस प्रभारी बाबरिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि निर्मल सिंह अपनी बेटी के साथ 5 जनवरी को दिल्ली में कांग्रेस में शामिल होंगे.
निर्मल सिंह के आने से कांग्रेस को मिलेगी मजबूत
हरियाणा कांग्रेस प्रभारी ने कहा कि पूर्व मंत्री चौ. निर्मल सिंह का कांग्रेस के साथ लंबा करियर रहा है. वह मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हैं और क्षेत्र में उनकी छवि एक संघर्षशील और मेहनती नेता की है. उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से उत्तरी हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की जमीनी पकड़ मजबूत होगी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीति है कि पार्टी की विचारधारा में आस्था रखने वाले सभी नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.
निर्मल सिंह का राजनीतिक सफर
पूर्व मंत्री निर्मल सिंह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा के करीबी रहे हैं. निर्मल सिंह कभी उत्तरी हरियाणा में बड़ा नाम थे. वह अंबाला की नग्गल विधानसभा से चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे हैं. वह 1982, 1991, 1996, 2005 में नग्गल से चुनाव जीत चुके हैं.
संभावना है कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद निर्मल सिंह गृह मंत्री अनिल विज की अंबाला कैंट सीट और असीम गोयल की अंबाला सिटी सीट पर दावा ठोकेंगे.गौरतलब है कि निर्मल सिंह के 4 बच्चे जिनमें 2 बेटियां, 2 बेटे हैं.उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए बेटों उदयवीर सिंह और चेतक सिंह के बजाय अपनी बेटी चित्रा को आगे बढ़ाया. चित्रा सरवारा अंबाला नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं.
ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर
पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था. 1976 से 1978 तक वे ब्लॉक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इसके बाद, 1978 में वह यूथ कांग्रेस अंबाला के जिला प्रधान बने. निर्मल सिंह 1980 तक अम्बाला जिला प्रधान रहे.इसी प्रकार वर्ष 1980 में वे युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने. निर्मल सिंह 1982 से 1989 तक रिकॉर्ड सात वर्षों तक युवा कांग्रेस हरियाणा के अध्यक्ष रहे.
1987 से 1989 तक वह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे जबकि 2000 से 2005 तक वह जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. 1986 में महज 33 साल की उम्र में निर्मल सिंह कैबिनेट मंत्री बने.इस दौरान उनका विवादों से भी नाता रहा. साल 1994 में उन पर एक हत्या का आरोप लगा था. इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. वह करीब ढाई साल तक जेल में रहे. जेल से ही उन्होंने 1996 में नग्गल विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा.
निर्मल सिंह के पक्ष में एकतरफ़ा माहौल था. वे विधायक चुने गये और अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. 1999 में निर्मल सिंह फिर कांग्रेस में लौट आये. 2005 में निर्मल सिंह दोबारा विधायक चुने गये. 2005 के चुनाव के बाद परिसीमन के बाद निर्मल सिंह की स्थिति बदल गई. उन्होंने 2009 में अंबाला कैंट से चुनाव लड़ा था. 2018 में उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी चित्रा सरवारा को सौंप दी.
अंबाला कैंट से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं चित्रा
चित्रा को कांग्रेस में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया. इसके अलावा वह महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी भी रह चुकी हैं. जिसके बाद, चित्रा ने 2013 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया. 2013 में उन्होंने अपना पहला नगर निगम चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 18 मार्च 1975 को अंबाला कैंट में जन्मीं चित्रा सरवारा एक राजनीतिज्ञ होने के साथ- साथ एक पेशेवर डिजाइनर और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं.
2019 में लड़ा चुनाव
2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में डिज़ाइन मैनेजर के रूप में उनके कौशल और काम की काफी सराहना की गई. 2016 में उन्हें हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी का वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया गया. 2017 में उन्हें अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का सोशल मीडिया प्रभारी भी बनाया गया. चित्रा ने 2019 का चुनाव अंबाला कैंट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और करीब 46 हजार वोट हासिल किए.
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