चंडीगढ़ । हरियाणा में पंचायत चुनावों ( Haryana Panchayat Election) को लेकर हों रहा इंतजार और लंबा होने जा रहा है. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल पंचायत चुनाव करवाने को लेकर किसी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है. गुरुग्राम निवासी प्रवीण चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा किए गए आरक्षण प्रावधान को विरोधाभासी बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि पंचायत विभाग ने हरियाणा पंचायती राज एक्ट में 15 अप्रैल 2021 को जो संशोधन किया है वह भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है. पंचायती राज एक्ट में 8% सीटें बीसीए के लिए आरक्षित की गई हैं और न्यूनतम दो सीटों से कम किसी क्षेत्र में नहीं होने का प्रावधान है. जबकि केवल छः जिले है जिनमें प्रावधान के अनुसार 8% आरक्षण देने पर 2 सीटें रिजर्व होती है.
प्रदेश के 18 जिले ऐसे हैं , जिनमें यदि 8% आरक्षण को देखा जाए तो केवल 1 सीट रिजर्व होती है. इस स्थिति में 8% आरक्षण और हर क्षेत्र में 2 सीटें रिजर्व करने का प्रावधान आपस में विरोधाभासी है. पंचायती राज अधिनियम में नया संशोधन करते समय गहनता से तथ्यों की जांच नहीं की गई. याची ने कहा कि इतना ही नहीं ड्रा और रोटेशन प्रक्रिया का पालन कैसे हो गया, यह भी संशोधन में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है.
हाईकोर्ट ने इस मामले पर हरियाणा सरकार से जवाब-तलब किया तो सरकार ने बताया कि प्रदेश सरकार का निकट भविष्य में चुनाव करवाने का कोई इरादा नहीं है. इस पर हाईकोर्ट ने बिना किसी अंतरिम आदेश के याचिका पर हरियाणा सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जबाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है.
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