चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने प्रदेश में निर्माण कार्यों और सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़ा कदम उठाया है. प्रदेश सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि यदि अब किसी भी प्रोजेक्ट पर लागत राशि 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी तो ठेकेदारों के बिल पास नहीं किए जाएंगे.
अगर किसी भी निर्माण कार्य की लागत निर्धारित सीमा तक बढ़ती है तो अधीक्षक अभियंता या विभाग के शीर्ष अधिकारी के हस्ताक्षर होने पर ही बिलों का भुगतान किया जाएगा. वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इस संबंध में प्रदेश के सभी ट्रेजरी अफसरों तथा सहायक ट्रेजरी अफसरों को लिखित आदेश जारी कर दिए हैं
आदेशों को किया जा रहा है दरकिनार
बता दें कि इससे पहले गत 22 अगस्त को भी वित्त विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए थे कि, जिन निर्माण कार्यों और प्रोजेक्ट्स की लागत राशि 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ती है तो उनके बिल पास नहीं होंगे. आदेश जारी होने के बाबजूद भी स्थिति ज्यों-कि-त्यों बनी हुई है और आदेशों को दरकिनार कर विभागीय अधिकारी ठेकेदारों से मिलीभगत कर बढ़ी हुई राशि के बिल मुख्यालय भेज रहे हैं.
अतिरिक्त भुगतान पर रोक
कई मामलों में सामने आया है कि प्रोजेक्ट की लागत राशि स्वीकृत बजट से करीब तीन गुना तक बढ़ गई है. जबकि इसके लिए सरकार से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है. वित्त विभाग की आपत्ति के बाद ऐसे बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है. बता दें कि बढ़ी हुई राशि की सबसे ज्यादा शिकायतें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग और स्वास्थ्य विभाग से सामने आई हैं. लोकनिर्माण विभाग में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है. जिसके चलते ठेकेदारों के करीब 500 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान अटक गया है.
पिछले दिनों ऑल हरियाणा कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अंकुर गुप्ता से मुलाकात कर बिलों के भुगतान में देरी का मुद्दा उठाया था. इसके बाद उन अधिकतर ठेकेदारों का भुगतान कर दिया गया है. जिनकी लागत राशि निर्धारित सीमा के अंदर थी. वहीं जिन प्रोजेक्टों की लागत 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है, उनके बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है.
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