चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने गांवों की पक्की गलियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए नए आदेश जारी किए हैं. विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी डीसी को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि यदि गांव में पंचायत की मंजूरी के बिना पक्की गलियों पर किसी ने खुदाली चलाई यानी तोड़ा तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. 28 जून को जारी पत्र में कहा गया है कि अब नए प्रावधानों के तहत ही पंचायतें गली तोड़ने की मंजूरी देंगी.
नए निर्देशों के मुताबिक, जो भी व्यक्ति या महकमा पंचायत की अनुमति के बिना गलियों को क्षतिग्रस्त करता है तो उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया जाएगा. वहीं, अगर किसी भी पंचायत ने नए निर्देशों की उल्लघंना की तो इसके लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार होगी.
क्या है पंचायती राज अधिनियम 1995
पंचायती राज अधिनियम 1995 में व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति पंचायती संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाएगा तो उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया जा सकता है. नए अधिनियम को लागू हुए तीन दशक होने को हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में हरियाणा भर की पंचायते संपति को नष्ट करने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है जिसकी वजह से लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में हिचकिचाते नहीं. अगर सरपंच की किसी के साथ रंजिश है तो वहां कार्रवाई तुरंत अमल में लाई अमूमन लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते रहते है तो और चुने हुए प्रतिनिधि इसे नजर अंदाज करते हैं.
खर्च के पैसे करवाने होंगे जमा
किसी व्यक्ति या सरकारी महकमे ने किसी भी काम के लिए गली को क्षतिग्रस्त करना है तो इसकी अनुमति ग्राम पंचायत देगी. व्यक्ति पंचायत को यह लिखित में देगा कि उसे किस काम के लिए गली का कितना हिस्सा तोड़ना है. इस हिसाब से ही गली को ठीक करने के लिए कितना पैसा खर्च होगा, इसके एस्टीमेट जेई से बनवाए जाएंगे. जितना पैसा खर्च होगा वह गली तोड़ने से वाले से पंचायत अपने खाते में जमा करवाएगी. इसके बाद, वह अपना काम शुरू कर सकेगा.
अक्सर इन कारणों से तोड़ते हैं गली
- पीने के पानी की पाइप दबाने के लिए
- गंदे पानी की निकासी की लाइन दबाने के लिए
- टेलीफोन या किसी अन्य तार को दबाने के लिए
- कई बार लोग रंजिश में भी गली को क्षतिग्रस्त कर देते हैं.