चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने प्रदेश को हराभरा बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. प्रदेश सरकार ने कोराना महामारी की वजह से दो साल से बंद पड़ी ‘पौधागिरी’ योजना को फिर से पटरी पर लाने की तैयारियां पूरी कर ली है. इसके तहत राज्य भर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पौध वितरित की जाएगी और तीन साल तक देखरेख की अवज में सरकार की ओर से हर साल बच्चों को 50 रुपये का भुगतान भी किया जाएगा.
अभी 3.5% वन क्षेत्र
आबादी के साथ क्षेत्रफल के हिसाब से भी हरियाणा की गिनती देश के छोटे राज्यों में होती है. यही वजह है कि यहां वर्तमान में 3.5% वन क्षेत्र है. वहीं, वन क्षेत्र से बाहर पेड़- पौधों की बात की जाए तो वह भी केवल 3.2% है. बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा हर साल करोड़ों रुपए पौधा रोपण के लिए खर्च किए जाते हैं लेकिन कुछ महीने बाद इस स्थिति का आंकलन किया जाता है तो 5% पौधे ही विकसित हो पाते हैं.
पौधागिरी की जरूरत क्यों
पौधारोपण के बाद उनकी संभाल नहीं होने के चलते मात्र 5% पौधे ही विकसित हो पाते हैं और यही सबसे बड़ी वजह है कि सरकार को पौधागिरी योजना को फिर से शुरू करना पड़ रहा है. इस योजना के तहत स्कूली बच्चों को पौधों की अहमियत बताई जाती है ताकि वो उनकी परिवार के सदस्यों की तरह देखभाल कर सकें. इससे बच्चों का पेड़ों के प्रति लगाव भी बढ़ेगा जो आने वाले भविष्य के लिए बहुत ही ज्यादा जरुरी है.
वन क्षेत्र के बाहर होगा पौधारोपण
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कोरोना महामारी ने एक सबक सबको सिखा दिया है कि शरीर के लिए आक्सीजन की वैल्यू क्या है. इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए वन क्षेत्र से बाहर अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए जाएंगे ताकि हरे भरे पर्यावरण के साथ लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध आक्सीजन मिल सकें. उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र के बाहर वृक्ष कार्यक्रम के तहत हरियाणा में 28 लाख हेक्टेयर में हरित क्षेत्र विकसित करने का बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
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