नई दिल्ली | दिल्ली- एनसीआर क्षेत्र के नक्शे में आने वाले दिनों में बदलाव देखने को मिल सकता है. एनसीआर क्षेत्र में शामिल राज्य हरियाणा ने अपने कुछ जिलों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर करने की तैयारियां तेज कर दी है. यदि हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो एनसीआर का मौजूदा क्षेत्र 24 फीसदी तक कम हो जाएगा. हरियाणा की मनोहर सरकार ने एनसीआर क्षेत्र से प्रदेश के पांच जिलों को बाहर करने का मन बना लिया है. मनोहर सरकार की ओर से इस आशय का प्रस्ताव एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के सामने रखा गया है.
इन जिलों को बाहर करेगी मनोहर सरकार
मनोहर सरकार ने जिन जिलों को बाहर करने का मन बना लिया है उनमें करनाल, जींद, महेन्द्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी शामिल हैं. इसके अलावा रोहतक और पानीपत जिले की तीन तहसीलों को भी बाहर किया जाएगा. हरियाणा सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर एनसीआर में शामिल तीन अन्य राज्यों की तरफ से कोई आपत्ति नहीं आई है. ऐसे में हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव के पारित होने के आसार अधिक नजर आ रहे हैं.
पिछली सरकारों के विपरित हैं कदम
बता दें कि हरियाणा सरकार का यह कदम पिछली सरकारों के एकदम उलट है. पिछली सरकारें जिलों को एनसीआर क्षेत्र में शामिल करने पर जोर देती थी. आंकड़ों के अनुसार, रिजनल प्लान 2021 में एनसीआर में हरियाणा का एरिया 13,413 वर्ग किलोमीटर था. पांच जिले शामिल करने की वजह से यह क्षेत्र बढ़कर 25,327 वर्ग किलोमीटर हो गया था. इस दौरान करनाल, जींद, महेन्द्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी जिलें को एनसीआर में शामिल किया गया है.
पहली बार दो प्रस्तावों पर हो सकता है विचार
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार यह पहली बार होगा कि मंगलवार को एनसीआर प्लानिंग बोर्ड रिजनल प्लान 2041 के दो सेट पर विचार करेगा. एक प्लान एनसीआर के मौजूदा क्षेत्र (55,144 वर्ग किलोमीटर) पर आधारित होगा तो वहीं, दूसरा प्लान एनसीआर के कम हुए क्षेत्र (42, 083 वर्ग किलोमीटर) पर आधारित होगा. सूत्रों ने बताया कि बोर्ड दोनों प्रस्तावों को भी मंजूरी दे सकता है. अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि पहले एनसीआर में जिलों को शामिल कराने पर जोर होता था. हालांकि, इसके पीछे क्षेत्र के विकास से अधिक वजह राजनीति से प्रेरित होती थी.
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