चंडीगढ़।हरियाणा सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें आयोग द्वारा हरियाणा नगर पालिका कानून 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून 1994 में बदलाव का प्रस्ताव दिया गया था. इन दोनों कानूनों में राजनीतिक दल की परिभाषा डालने और साथ-साथ नगर निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों पर दल-बदल विरोधी प्रविधान लागू करने के बारे में लिखा गया था.
बता दें कि हरियाणा के कानून में राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हों पर चुनाव करवाने का प्राविधान ही नहीं है. इस बारे में सितंबर 2021 से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार द्वारा आयोग को निरंतर लिखा गया कि हरियाणा के मौजूदा नगर निकाय कानूनों और निर्वाचन नियमों के अनुसार आयोग चुनावों में उम्मीदवारों को केवल मुक्त चुनाव चिन्हों)की सूची में से ही चुनाव चिन्ह आवंटित कर सकता है. अर्थात कांग्रेस, बीजेपी, आईएनएलडी और जेजेपी आदि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा उतारे गए पार्टी उम्मीदवारों को उनकी पार्टी के आरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं किए जा सकते हैं.
चुनाव आयोग ने इस संबंध में 28 फरवरी को हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर कानूनी संशोधन करने का प्रस्ताव किया था. हैरानी वाली बात यह है कि कानून में कोई प्रविधान नहीं होने के बावजूद शहरी निकायों में राजनीतिक दल अपनी पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ते रहे हैं, जो कि कानून के विरुद्ध था.
चुनाव पर नहीं हुआ अंतिम निर्णय
हरियाणा में 49 नगर निकायों (19 नगर परिषदें और 30 नगर पालिकाएं) के प्रस्तावित आम चुनाव की तारीख को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. हाल ही में चुनाव आयोग ने फरीदाबाद नगर निगम और पिछले साल बाढड़ा, बादली, आदमपुर और सीवन नगर पालिकाओं की ताजा मतदाता सूचियां बनाने का कार्यकम घोषित किया था जो 20 जून तक पूरा होगा. इस कारण संभवत: उसके बाद ही उपरोक्त सभी 55 नगर निकायों के आम चुनाव करवाए जाएंगे. वहीं आयोग के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने अतार्किक बताते हुए खारिज किया है.
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