चंडीगढ़ | हरियाणा की BJP- JJP गठबंधन सरकार ने नए साल पर सूबे के सरपंचों को बड़ी सौगात दी है. हरियाणा सरकार ने विकास कार्यों के लिए लगाई 25 लाख रुपये की लिमिट हटा दी है. पंचायत के बजट और आमदनी की 50% राशि अब पंचायतें अपनी मर्जी से गांवों के विकास पर खर्च कर सकेंगी. मनोहर सरकार के इस फैसले से अब गांवों में विकास कार्य रफ्तार पकड़ेंगे.
राज्य सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा उन बड़े गांवों को पहुंचेगा जहां पंचायतों की सालाना आमदनी करोड़ों रुपए में है. हरियाणा सरकार ने इस फैसले के तहत सभी ग्राम पंचायतों को अपने सालाना फंड और विभिन्न मदों से प्राप्त आय की 50 प्रतिशत तक की राशि से तक काम कराने की मंजूरी दी है लेकिन ये काम 5 लाख रुपये से अधिक के नहीं होने चाहिए.
पंचायती राज विभाग ने अनुमति दी है कि गांवों में 50 फीसदी बजट तक के विकास कार्यों को पंचायतें करा सकते हैं और अब इसमें 25 लाख की लिमिट बाधा नहीं बनेगी. इस संबंध में पंचायती राज तकनीकी विंग के कार्यकारी अभियंता संभव जैन ने बताया कि मौखिक तौर पर 50% बजट के ग्राम पंचायतों द्वारा कार्य कराए जाने को सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है.
सरपंच एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रणबीर समैण ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि भले ही सरकार ने सालाना ग्रांट व फंड में 50 लाख के विकास कार्य किए जाने की अनुमति दी हैं, लेकिन इसमें भी 5 लाख की शर्त रख दी है जबकि हमारी मांग 1994 में किए गए संशोधन के दौरान ग्राम पंचायतों को संपूर्ण अधिकार दिए जाने की है.
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सिर्फ 10% पंचायतें ही ऐसी है जिनकी वार्षिक आय 50 लाख से अधिक है जबकि ज्यादातर पंचायतों की सालाना आमदनी 15 लाख रूपए तक है. वहीं, पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने ग्राम पंचायतों की 25 लाख की लिमिट को हटा कर सालाना ग्रांट में 50% बजट पर काम करने की आजादी दे दी है. इसके लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मांग के अनुसार गांवों में विकास कार्य शुरू करवाए.
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