चंडीगढ़ | हरियाणा में एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसन) के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार पर हरियाणा सरकार ने कड़ा प्रहार किया है. राज्य सरकार ने एसीपी को मानव संसाधन विकास प्रणाली (एचआरएमएस) से जोड़ा है. एक अगस्त से सभी विभागों को एसीपी मामलों को मैन्युअल के बजाय ऑनलाइन करना होगा. यदि कोई विभाग ऐसा नहीं करता है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा. ऑनलाइन प्रक्रिया से 2.89 लाख कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. इस संबंध में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने सभी विभागाध्यक्षों, आयुक्तों, उपायुक्तों, अनुमंडल अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं.
शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा पेंडिंग केस
अभी तक ज्यादातर विभागों में एसीपी की फाइलें हाथ से चलाई जाती हैं, जिनमें भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगते रहे हैं. सालों से कर्मचारियों की फाइलें दबी पड़ी हैं. वर्तमान में विभागों में एसीपी के हजारों मामले लंबित हैं.सबसे ज्यादा मामले शिक्षा विभाग में लंबित हैं.सरकार द्वारा बार-बार लंबित मामलों के निस्तारण के आदेश दिए जाने के बाद भी मामले लंबित हैं. इस वजह से ज्यादातर मामले कोर्ट में चल रहे हैं. इसके अलावा एसीपी के नाम पर मोटी रिश्वत लेने की भी शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही थीं.
हरियाणा सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया और 16 जून को समीक्षा बैठक बुलाई गई. बैठक में पाया गया कि ऑनलाइन प्रक्रिया को सिर्फ शिक्षा विभाग ही अपना रहा है. अन्य विभागों ने चल रहे मामलों को निपटाने के लिए समय मांगा था. सरकार ने एसीपी मामलों को मैनुअल तरीके से निपटाने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया था. 1 अगस्त से भविष्य के सभी एसीपी मामलों को एचआरएमएस के माध्यम से करना होगा. हरियाणा सरकार ने इसके लिए ट्रेजरी विभाग के सुनील बहल और एनआईसी के यशपाल को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. गौरतलब है कि इससे पहले 2018 में भी सरकार ने इसे ऑनलाइन करने की कोशिश की थी, लेकिन विभागों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
एसीपी क्या है?
सरकारी कर्मचारियों को नौकरी में 8, 16 और 24 साल की सेवा पूरी करने पर एसीपी मिलता है. इसके तहत कर्मचारी को प्रमोशन के हिसाब से आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो जाता है. नियमानुसार यह नियमित विभागीय प्रक्रिया है, लेकिन विभागों में कर्मचारियों को समय पर एसीपी नहीं मिलता है. इसके लिए कर्मचारियों को मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. क्योंकि यह काम मुख्यालय से जुड़ा हुआ है.
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