चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार प्रदेश में सरस्वती के नाम से पैक मिनरल वाटर लाने की तैयारी कर रही है. सरकार ने हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की जिम्मेदारी तय कर दी है. बोर्ड इस मिनरल वाटर को 2023 में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव में लांच करने की तैयारी कर रहा है. बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि बड़े ब्रांड के अलावा गंगा और अन्य नदियों के नाम से पानी पहले ही बाजार में है और अब इसी दिशा में हरियाणा सरकार भी अपने कदम आगे बढ़ा रही है.
बता दें कि सरस्वती को लेकर हरियाणा सरकार ने पहली बार बोर्ड का गठन किया है. नासा और इसरो जैसे देश- विदेश रिसर्च सेंटर सैटेलाइट चैनलों द्वारा ली गई तस्वीरों के माध्यम से यह पहले बताया जा चुका है कि हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से होकर गुजरने वाली सरस्वती नदी के प्राचीन भूमिगत मार्ग में जल कोष आज भी उपलब्ध है.
हरियाणा सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता नितिन कुमार ने बताया कि सरस्वती के भूमिगत जल और पहाड़ी जल का इस्तेमाल पैक ड्रिंकिंग वाटर के रुप में हो , इसके लिए दो लैब और एजेंसियों से सम्पर्क किया जा चुका है. यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल का महत्वपूर्ण विजन है और इस दिशा में दो कदम और आगे बढ़ाने की तैयारी हो गई है.
RO से ज्यादा शुद्धता का दावा
सरस्वती नदी के मार्ग पर कई जगहों पर बोरिंग करने के बाद केन्द्रीय भूमिगत जल बोर्ड के वैज्ञानिक भी यह दावा कर चुके हैं कि जमीन के नीचे सरस्वती का यह जल आरओ से भी ज्यादा शुद्ध है. बोर्ड के उपाध्यक्ष के मुताबिक सरस्वती नदी का पवित्र जल हिमालय के ऊंचे ग्लेशियरों से प्रवाहित होते हुए आदिबद्री तक पहुंचता है.
मुगलावांली में बन सकती है यूनिट
काठगढ़,मुगलावांली, बड़ी पाबनी, इस्सर गढ़ और पिपली सहित कुल 11 स्थलों पर सरस्वती प्रवाह मार्ग में ओएनजीसी द्वारा करीब 300 से 400 मीटर नीचे तक बोरिंग की गई थी. इनमें बड़ी पाबनी सहित दो जगहों पर ग्लेशियर के पानी की पुष्टि हुई है. बड़ी पाबनी में 13 हजार साल पुराने पानी की पुष्टि हुई है. सरकार की योजना है कि पैक ड्रिंकिंग वाटर के लिए यूनिट यमुनानगर के मुगलावांली में लगें क्योंकि साल 2015 में यही पर सरस्वती नदी का पानी मिला था.
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