चंडीगढ़ । आने वाले कुछ समय में हरियाणा में जिलों की संख्या 22 से बढ़कर 23 हो सकती है. अम्बाला जिले में स्थित नारायणगढ़ उपमंडल को नया जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ ली है, यहां तक कि इसके लिए नारायणगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति का भी गठन हो चुका है. यदि सरकार इस समिति की मांगों को मान लेती है तो दशकों से नारायणगढ़ को जिला बनाने की कवायद पूरी हो सकती है.
फिलहाल नारायणगढ़ उपमंडल में नारायणगढ़ के अलावा शहजादपुर ब्लाक भी शामिल है. दोनों ब्लाक में कुल मिलाकर 156 पंचायतें और 187 गांव हैं. नारायणगढ़ की आबादी आबादी लगभग 5 लाख है, जिसका प्रशाशन अम्बाला से चलाना मुश्किल हो रहा है.
नारायण को जिला बनाने से क्या फायदें?
लगभग 5 लाख आबादी वाले नारायणगढ़ के लोगों का प्रशासन अंबाला जिले से चलता है जिससे यहां के लोगों को जिला कार्यालय संबंधी सभी कामों के लिए 40 से 55 किलोमीटर दूर अंबाला जाना पड़ता है, यदि नया जिला बनता है तो प्रशासनिक कामों के लिए लोगों को दूर जाने की जरूरत नहीं रहेगी. इसके अलावा नारायणगढ़ में जिला बनने से लोगों की सुविधाओं में वृद्धि होगी. लोगों को अस्पताल, तहसील, न्यायालय और महाविद्यालय जैसी सुविधाएं अपने ही जिले में मिलने लगेंगी. इसके अलावा सरकार को भी नारायणगढ़ को जिला बनाने में ज्यादा खर्चा नहीं आएगा क्योंकि आप पहले से लघु सचिवालय और कई महत्वपूर्ण इमारतें मौजूद हैं जिन्हें आराम से प्रशासनिक कार्यालयों के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.
नया जिला बनाना क्यों जरूरी?
नारायणगढ़ के यमुनानगर के सढौरा ब्लाक में कुल 63 गांव हैं, जिनकी जिला मुख्यालय से दूरी 35 से 65 किलोमीटर हैं. यदि नारायणगढ़ जिला बनता है तो जिला मुख्यालय की दूरी घटकर लगभग 6 किलोमीटर ही रह जायेगी.
कुछ ऐसी ही हालात अंबाला के हलका मुलाना के 15 गावों की है जिनकी फिलहाल जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 35 किलोमीटर है और नारायणगढ़ के जिला बनने के बाद ये दूरी मात्र 5 किलोमीटर के आसपास रह जायेगी. एक और जिला होगा तो सरकार को भी प्रशासन में सहूलियत होगी और कानून व्यवस्था भी पुख्ता तरीके से चलाया जा सकेगा. आपको बताते हैं कि यदि नारायणगढ़ को जिला बनाया जाता है तो अंबाला के अलावा पंचकूला और यमुनानगर के भी कई गांव इसमें शामिल होंगे.
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