चंडीगढ़, Haryana Panchayat Election | हरियाणा में पहली बार दो चरणों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं. राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) धनपत सिंह ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में यह घोषणा की. हालांकि, 2 चरणों में पंचायत चुनाव कराने का क्या कारण था इसे लेकर हर तरफ चर्चा है. आयोग इसके लिए व्यवस्था न होने की दलील देता है लेकिन हकीकत में यह हरियाणा सरकार की मजबूरी और योजना का हिस्सा है. इसे 4 पॉइंट्स से समझें…
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी परीक्षण
हरियाणा में बीजेपी को सरकार चलाए 8 साल हो चुके हैं. फिलहाल दूसरा कार्यकाल चल रहा है तब से लगभग 3 साल बीत चुके हैं. ऐसे में सत्ता विरोधी लहर का डर स्वाभाविक है. सरकार पहले चरण के 10 जिलों में देखना चाहती है कि उन्हें राजनीतिक तौर पर कितना नुकसान हो रहा है.
यदि सरकार सभी जिलों में एक साथ पंचायत चुनाव कराती तो विपक्ष को भारी पड़ सकता था. हर जगह एक साथ फोकस करना संभव नहीं है इसलिए पहले 10 जिलों में चुनाव कराए जाएंगे. इसके बाद 12 जिले दूसरे चरण में होंगे. सरकार को दोनों चरणों में हर जिले पर फोकस करने के लिए पूरा समय मिलेगा. इससे विपक्ष को मात देने में आसानी होगी.
पहले चरण में दिग्गज नेताओं के गढ़ में चुनाव नहीं है. उदाहरण के लिए, सीएम सिटी करनाल, सीएम मनोहर लाल खट्टर के गृह क्षेत्र रोहतक, गृह मंत्री अनिल विज के गृह क्षेत्र अंबाला और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के गृह जिले हिसार में दूसरे चरण में चुनाव हैं. पहला चरण पूरा होने के बाद दिग्गज यहां डेरा डालेंगे ताकि यहां की हार से सरकार को परेशानी न हो.
किसान आंदोलन का प्रभाव
किसान आंदोलन को समाप्त हुए 10 महीने बीत चुके हैं. यह आंदोलन केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ था. आंदोलन खत्म होने के बावजूद एलेनाबाद उपचुनाव में भाजपा के प्रति किसानों की नाराजगी साफ नजर आई. बीजेपी इनेलो के अभय चौटाला से हार गई. सरकार भी चरणबद्ध चुनाव कराकर इसका परीक्षण करना चाहती है.
आदमपुर उपचुनाव का गणित
हिसार की आदमपुर सीट पर उपचुनाव भी आड़े आए. आदमपुर में इस बार सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है. 2019 में राज्य में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद बीजेपी बड़ौदा (सोनीपत) और एलेनाबाद (सिरसा) सीटों पर हुए उपचुनाव में हार गई है. इस बार कांग्रेस से आए कुलदीप बिश्नोई को उम्मीदवार बनाना है.
आदमपुर में सरकार की हार हुई तो विपक्ष क्रांति विरोधी लहर को और मजबूत करेगा. खासकर अगर कांग्रेस जीतती है तो वह वापसी करेगी और अगर आम आदमी पार्टी (आप) जीतती है, तो विधानसभा में उनका प्रवेश अगले चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी. इसलिए पहले चरण में सरकार बड़े जिलों में पंचायत चुनाव नहीं कराकर आदमपुर पर फोकस करेगी.
पंचायत चुनाव में देरी से लोगों में नाराजगी
हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में देरी की है. इसकी वजह कोर्ट में चल रहे मामले हो सकते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोग गुस्से में हैं. पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी 2021 को समाप्त हो गया है. तब पंचायतों को भंग कर अधिकारियों को अधिकार दिए गए थे. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. पूरी विकास निधि खर्च नहीं हुई और गांव पिछड़ गए. इससे पहले 2016 में बीजेपी सरकार के दौरान चुनाव में देरी हुई थी लेकिन तब 6 महीने बाद चुनाव हुए थे.
2 चरणों के चयन पर सीईओ का तर्क
हरियाणा राज्य चुनाव आयोग के सीईओ धनपत सिंह ने राज्य में पुलिस की कमी को पंचायत चुनाव दो चरणों में होने का कारण बताया है. उनका कहना है कि 27-28 अक्टूबर को देशभर के पुलिस अधिकारियों की प्रधानमंत्री के साथ बैठक है. ऐसे में एक चरण में चुनाव कराना संभव नहीं था. चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए आयोग ने दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है.
हरियाणा में पुलिस की स्थिति भी जानिए
हरियाणा की साढ़े तीन करोड़ आबादी की सुरक्षा 71,152 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर टिकी है. 14,765 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक पुलिसकर्मी पर है. हालांकि, इसमें एक सवाल यह भी है कि अगर पुलिस की कमी है तो क्या सरकार दूसरे राज्यों या केंद्र से मदद नहीं ले सकती.
पानीपत समेत 10 जिले पहले चरण में शामिल
पहले चरण में जिन 10 जिलों में पंचायत चुनाव होंगे उनमें भिवानी, फतेहाबाद, झज्जर, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़, नूंह, पंचकूला, पानीपत और यमुनानगर शामिल हैं. इन जिलों में नामांकन 14 अक्टूबर से शुरू होकर 19 अक्टूबर तक चलेगा. नामांकन पत्रों की जांच 20 अक्टूबर को होगी और नामांकन 21 अक्टूबर की दोपहर तक वापस लिए जा सकेंगे.
जिला परिषद और पंचायत समितियों के लिए मतदान रविवार 30 अक्टूबर को होगा. सरपंच-पंचों के लिए 2 नवंबर को मतदान होगा. मतदान समाप्त होते ही सरपंच-पंचों की मतगणना शुरू हो जाएगी जबकि जिला परिषद और पंचायत समितियों के मतों की गिनती राज्य के बाकी जिलों में चुनाव समाप्त होने के बाद एक साथ होगी.
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