चंडीगढ़ | हरियाणा राज्य महिला आयोग ने बाल विवाह को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए सरपंच व पार्षद काम करेंगे. आयोग की ओर से कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच और शहरी क्षेत्रों में पार्षद बाल विवाह रोकने के लिए काम करेंगे. पिछले सात साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो बाल विवाह के मामलों में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
हरियाणा के कानून को मिली मंजूरी
2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाल विवाह को पूरी तरह से अमान्य करने वाले हरियाणा के कानून को अपनी मंजूरी दे दी है. इस कानून के लागू होने के बाद 15 से 18 साल के लड़के और लड़की के बीच वैवाहिक संबंध पूरी तरह से अवैध है. बाल विवाह निषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2020 सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद लाया गया था.
बाल तस्करी तीन गुना हुई दर्ज
वर्ष 2021 में बाल तस्करी तीन गुना हो गई जब बच्चा चोरी के 21 मामले दर्ज किए गए. इनमें 20 लड़कियां और एक लड़का शामिल है. इसी तरह गुमशुदा बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. पिछले तीन साल में गुमशुदा बच्चों के मामलों में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2019 में लापता बच्चों के 2,815 मामले दर्ज किए गए जबकि 2021 में 2343 मामले दर्ज किए गए.
इन 2 जिलों में सबसे ज्यादा केस
हरियाणा के दो जिले ऐसे हैं जो देश में इस मामले में सबसे पिछड़े हैं. इनमें मेवात और हिसार जिले शामिल हैं. एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, मेवात और हिसार में बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था के अधिकांश मामले गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों से संबंधित हैं. इनमें कई जातियां ऐसी भी हैं जिनमें बाल विवाह की परंपरा है जिसका आज भी पालन किया जा रहा है.
2019- 20 में यह दर 19.4 फीसदी पर पहुंची
साल 2020 के बाद हरियाणा में बाल विवाह में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वर्ष 2015- 2016 में बाल विवाह की दर 12.5 प्रतिशत थी जो 2019-20 में बढ़कर 19.4 प्रतिशत हो गई. अगले वर्ष में दर लगभग समान रही. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार राज्य में वर्ष 2019 में बाल विवाह के 20 मामले सामने आए थे जो 2020 में बढ़कर 33 हो गए. 2021 में इन मामलों में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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