चंडीगढ़ । हरियाणा सरकार ने विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 प्रस्तुत किया. प्रदेश सरकार जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए इस विधेयक को लेकर आई है. चर्चा के बाद आगामी बैठकों में इसे पारित कर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इसके तहत जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम 10 साल कैद व न्यूनतम चार लाख रुपये जुर्माना होगा.
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन की जानकारी धार्मिक पुरोहित या अन्य व्यक्ति को डीसी को आयोजन स्थल के साथ पूर्व में देनी होगी. इस नोटिस को डीसी ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाएगा. यदि किसी व्यक्ति को इस पर आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है. उन्होंने बताया कि इस विधेयक के लागू होने पर जबरन धर्मांतरण करना आसान नहीं होगा.
डीसी जांच कर यह तय करेंगी कि धर्म परिवर्तन का आशय धारा-3 का उल्लंघन है या नहीं. यदि इसमें कोई उल्लंघन पाया जाता है तो आग्रह अस्वीकार कर दिया जाएगा. डीसी के आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अनेक मामलों में धर्म की गलत व्याख्या कर दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया.
अलग-अलग सजा व जुर्माने का प्रावधान
यदि किसी प्रलोभन, बल प्रयोग, षड्यंत्र से धर्म परिवर्तन का मामला सामने आता है तो 1 वर्ष से 5 वर्ष तक का जेल और कम से कम 1 लाख रुपये जुर्माना होगा. यदि विवाह के लिए धर्म छिपाया है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में विधेयक की धारा-3 के उपबंधों के उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं, बल्कि समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी ठेस पहुंचाती हैं. इसलिए यह कानून बनाने जा रहे हैं. इस विधेयक के लागू होने पर इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा.
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