चंडीगढ़ | देश इस वक्त तरक्की की राह पर है क्योंकि निर्माण कार्य काफी तेज रफ्तार में हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में इस वक्त 4000 किलोमीटर से ज्यादा लंबे एक्सप्रेसवे हैं. इसके अलावा, 10 से ज्यादा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. फिलहाल पहले चरण में ईस्टर्न वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के किनारे हेलीपैड बनाने का फैसला लिया गया है.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और हरियाणा सरकार की बैठक में इस पर सहमति बन गई है. साथ ही इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन, नई इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाने और एक्सप्रेसवे और एनएच को इंटरकनेक्ट करने समेत अन्य कार्यों में तेजी लाई जाएगी.
30-50 किमी की दूरी पर बनेंगे हेलीपैड
नए नियमों के मुताबिक, एक्सप्रेसवे के किनारे 30-50 किलोमीटर की दूरी पर हेलीपैड बनाए जाने चाहिए ताकि किसी बड़ी दुर्घटना की स्थिति में एक्सप्रेसवे के किनारे एयर एंबुलेंस के जरिए घायलों को बचाया जा सके. आसपास के शहरों में आपात स्थिति में एयर एंबुलेंस के जरिए मरीजों को कम समय में ही शिफ्ट किया जा सकेगा. आपात स्थिति में घायलों को तुरंत मदद पहुंचाने के लिए दिल्ली- एनसीआर में एक्सप्रेसवे के किनारे हेलीपैड बनाने का फैसला किया गया है.
इन जगह हेलीपैड बनाने की योजना
हरियाणा सरकार जल्द ही वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के किनारे हेलीपैड बनाने की तैयारी में है. फिलहाल दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे पर भोजपुर से पहले हेलीपैड बनाया गया है. वहीं, दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले एक्सप्रेसवे पर बागपत के खेकड़ा से देहरादून के बीच तीन से चार जगहों पर हेलीपैड बनाने की योजना है.
ये एक्सप्रेस हैं अंतिम चरण में
- दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेसवे
- द्वारका एक्सप्रेसवे
- नर्मदा एक्सप्रेसवे
- रायपुर विशाखापत्तनम एक्सप्रेसवे
- मुंबई- नागपुर एक्सप्रेसवे
- गंगा एक्सप्रेसवे
- दिल्ली- अमृतसर- कटरा एक्सप्रेसवे
- अहमदाबाद- धोलेरा एक्सप्रेसवे