चंडीगढ़ | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसके तहत सरकार ने मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत सीटों के आरक्षण को अनिवार्य करने वाले नियम 134-A को हटा दिया था. इस संबंध में हरियाणा सरकार ने 28 मार्च को अधिसूचना जारी की थी.
सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के तहत नियम 134-A को हटाने वाले संशोधित नियमों को हरियाणा राज्य विधानसभा के समक्ष पूर्व अनुमोदन के लिए नहीं रखा गया था. ऐसे में नियम 134-A को अवैध ढंग से हटाया गया है.
याचिका में यह दलील दी गई थी कि ऐसी परिस्थितियों में नियम 134-A अभी भी अस्तित्व में है और मौजूदा शैक्षणिक सत्र में छात्रों को नियम 134-A के तहत एडमिशन दिया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा इस नियम को समाप्त करने के लिए सदन के समक्ष रखना अनिवार्य नहीं है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने एक छात्र जयंत कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया.
क्या है नियम 134-A
इस नियम के तहत कोई भी गरीब परिवार का छात्र किसी भी प्राइवेट स्कूल में बिना किसी खर्च के पढ़ाई कर सकता था. इसके बदले सरकार प्राइवेट स्कूलों को राशि का भुगतान करती थी. सरकार द्वारा एक तय आय वर्ग के परिवार इस नियम का लाभ उठा सकते थें. इसके तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन मिलता था.
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