चंडीगढ़ । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार हरियाणा सरकार पर हमलावर है, हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फिर से मनोहर लाल खट्टर पर निशाना साधा है. हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल आमने-सामने हैं. रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत राज्य पर बढ़ता कर्ज, विकास शुल्क में वृद्धि और डोमिसाइल (निवास प्रमाण पत्र) की अवधि को 15 साल से घटाकर पांच साल करना ऐसे मुद्दे हैं, जिनका सीधा संबंध जनता से है. इन तीन मुद्दों पर जहां हुड्डा सरकार पर आक्रामक हैं, वहीं मनोहर लाल विपक्ष पर कोई मुद्दा न होने और अपनी कमियां छिपाने का आरोप लगाकर इसका जवाब दे रहे हैं.
बढ़ते कर्ज को लेकर हुड्डा और मनोहर में भिड़ंत
हुड्डा ने कहा कि 2014 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राज्य पर केवल 61 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. राज्य सरकार के पास विकास का कोई विजन नहीं है. कर्ज लेकर घी पीने का काम कर रही सरकार का ढांचागत विकास पर कोई जोर नहीं है. सात साल में राज्य में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आया. हमारी सरकार में जितने भी प्रोजेक्ट शुरू हुए थे वो भी बंद हो गए हैं. कोई नया नहीं रेलवे लाइन बिछाई गई और कोई नया पावर प्लांट नहीं लगा, फिर यह कर्ज कहां जा रहा है?
मौजूदा सरकार का जवाब: विपक्ष हमेशा सरकारी कर्ज को लेकर झूठे आंकड़े पेश करता है. 2014 में जब हमने सरकार संभाली थी तब राज्य पर 98 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था, जबकि विपक्ष 61 हजार करोड़ रुपये बता रहा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014-15 के दौरान सरकार पर 71 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था जबकि बिजली विभाग पर 27 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था. इस 27 हजार करोड़ के कर्ज को सरकार ने अपने अधीन लेकर चुकाया. दोनों को जोड़ दें तो 98 हजार करोड़ रुपए बन रहा है. इससे साफ पता चलता है कि विपक्ष ने कितना भ्रम फैलाया है. हमने कभी भी उधार लेने की सीमा को पार नहीं किया है.
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