चंडीगढ़ | 12 जून 1966 का दिन था जब रेडियो से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा हरियाणा के अलग राज्य की घोषणा की गई थी. उस समय चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित किया गया था. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में बीडी शर्मा ने शपथ ली. मार्च 1967 में प्रदेश में पहली बार चुनाव हुए.
1966 में आया अस्तित्व में
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 1966 में सरदार हुकम सिंह की संसदीय समिति की सिफारिश पर ही पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया. 31 मई 1966 को शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट को पेश किया जिसके आधार पर पंजाब राज्य को बांटा गया और हरियाणा की सीमाओं का निर्धारण किया गया. इस रिपोर्ट के अनुसार, हिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, रोहतक और करनाल को नए प्रदेश में शामिल किया गया. 10 लोकसभा 90 विधानसभा सीटों के राज्य में आज 22 जिले हैं.
समय के साथ विकसित हुई कई जिले
सबसे पहले 1923 में स्वामी सत्यानंद द्वारा हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग लाहौर (पाकिस्तान) में की गई थी. उसके बाद, मेरठ में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स की कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ. इसकी अध्यक्षता करते हुए दीनबंधु सर छोटू राम ने हरियाणा को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की. आखिरकार सबके संयुक्त प्रयासों से 1 नवंबर 1966 को हरियाणा प्रदेश अस्तित्व में आया. इसके बाद से ही धीरे- धीरे जैसे- जैसे समय बिता तो फरीदाबाद, गुरुग्राम जैसे शहरों ने देश भर में अपनी अमिट छाप छोड़ी.
हर क्षेत्र में बजता है डंका
आज भी प्रदेश के कई शहर विश्व भर में अपनी पहचान रखते हैं. पर्यटन, शिक्षा, खेल, व्यापार और उद्योग हर क्षेत्र में प्रदेश ने अपनी अलग पहचान बनाई है. आज आलम यह हो चुका है कि पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहाँ रोजगार के लिए आते हैं. यहाँ की संस्कृति, बोली, पहनावा और खान- पान लोगों को हमेशा से ही अपनी तरफ आकर्षित करता आया है. अपनी बोली के लिए विश्व भर में पहचाने जाने वाले यहाँ के लोग अपनी सादगी से लोगों का दिल जीतने का माद्दा रखते हैं.
यहीं भगवान् कृष्ण ने दिया गीता का उपदेश
खेलों के क्षेत्र में यहाँ के खिलाड़ी विदेश तक अपनी धाक जमा चुके हैं. आज बड़ी- बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों की प्रोडक्शन यूनिट्स प्रदेश में स्थापित हैं. इसे हरी का प्रदेश कहा जाता है क्योंकि महाभारत का ऐतिहासिक युद्ध कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर लड़ा गया. यह वही भूमि है, जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.
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