HCS भर्ती में धांधली रोकने के लिए HPSC का ने किया बड़ा बदलाव, कोड सिस्टम लागू

चंडीगढ़ | नौकरियों में धांधली को लेकर चर्चा में रहे हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) ने अपनी साख बचाने के लिए इस बार HCS (कार्यकारी शाखा) भर्ती प्रक्रिया में बड़ा परिवर्तन कर दिया है. पहली बार आयोग ने गोपनीयता को बनाए रखने के लिए रोल नंबर के स्थान पर कोड सिस्टम को अपनाया है. इसके जरिये न तो अभ्यर्थियों को इंटरव्यू कमेटी के बारे में कोई जानकारी मिल सकी और न ही कमेटी को अभ्यर्थियों के बारे में उनका रोल नंबर और नाम का पता लग पाया.

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साक्षात्कार कमेटी ने इसी कोड नंबर के आधार पर ही नंबर दिए. एचसीएस की मेन परीक्षा करने वाले 425 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू 30 जनवरी से 6 फरवरी तक हुआ. नए प्रयोग के अंतर्गत, जैसे ही अभ्यर्थी आयोग में पहुंचे तो वहां पर उन्हें रोल नंबर के स्थान पर एक कोड मिला. कोड मिलाने के बाद अभ्यर्थी के साइन भी करवाए गए. इसके बाद, साक्षात्कार कमेटी के पास जाने से पहले चार- चार अभ्यर्थियों को बुलाया गया और चार डिब्बों में रखी पर्चियां उठाने के लिए बोला गया.

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अलग-अलग डिब्बों में ए, बी, सी और डी नाम की कमेटियों की पर्ची रखी थी. जिस नाम की पर्ची निकली, वह लेकर अभ्यर्थी उसी कमेटी के पास इंटरव्यू के लिए पहुंचा. विशेष बात ये भी रही कि पहले से ही निर्देश दिए गए थे कि ना ही कोई अभ्यर्थी अपना नाम और रोल नंबर बताएगा और ना ही इस बारे में कोई प्रश्न पूछेगा.

कमेटी में होते हैं पांच मेंबर

साक्षात्कार कमेटी में HPSC का एक सदस्य और पांच अन्य विशेषज्ञ शामिल होते हैं. इनमें पूर्व मुख्य सचिव, पूर्व वीसी और डीजीपी और एडीजीपी स्तर के अधिकारी रहें. ये सभी अपने अपने सब्जेक्ट में एक्सपर्ट होते हैं. किसी भी एक सदस्य के पास पूरे अंक देने का अधिकार नहीं है. सभी सदस्य अलग- अलग अंक देकर अलग अलग लिफाफों में सील कर उसे सचिव के पास भेजते है. इसके बाद, आयोग ने सभी के दिए गए अंकों का जोड़ किया.

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पहले अभ्यर्थी और कमेटी को होता था सब पता

इससे पहले, एचपीएससी की तरफ से जब अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता था तो शेड्यूल में बताया जाता था कि किस तारीख को उसे कमेटी के पास पहुंचना है. इस प्रक्रिया में अभ्यर्थी को पहले पता होता था कि उसे किस कमेटी के पास जाना है और कमेटी को पता होता था कि उसके पास कौन- कौन से रोल नंबर वाले अभ्यर्थी इंटरव्यू के लिए आएंगे. इसमें पहले से ही सिफारिश की आशंका रहती थी और कई बार ऐसे मामले देखने को भी मिले हैं.

साख बचाने के लिए बदली प्रक्रिया

एससीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कराने के मामले में नवंबर 2021 में विजिलेंस ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के उप सचिव अनिल नागर को लाखों रुपये की रिश्वत के साथ पकड़ा था. पूछताछ में खुलासा किया गया था कि 20- 20 लाख रुपये लेकर एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कराई गई थी. इस मामले के बाद से खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सख्ती दिखाते हुए आदेश दिए थे कि भर्तियों में फर्जीवाड़ा बिल्कुल भी नहीं सहा जाएगा. इसके लिए जितने भी सख्त कदम उठाने पड़ें उठाए जाएं. यह सब होने के बाद ही एचपीएससी ने यह निर्णय लिया है.

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एचपीएससी में ही चेक कराए पेपर

एचसीएस की लिखित परीक्षा के पेपरों को चेकिंग के लिए बाहर नहीं बल्कि आयोग में ही चेक कराया गया. आयोग के पास आई उत्तर पुस्तिकाओं को आयोग के अंदर ही रखा गया और परीक्षक को बाहर  से आया. साथ ही वीडियोग्राफी के अंदर पेपरों की चेकिंग करवाई गई. एचपीएससी के सचिव डॉ यश गर्ग का कहना है कि परीक्षा से लेकर साक्षात्कार प्रक्रिया बिल्कुल पारदर्शी तरीके से की गई है.

गोपनीयता के लिए साक्षात्कार के समय अभ्यर्थियों और कमेटियों की पहचान न हो सके और कोई किसी को अप्रोच न कर सके, इसलिए रोल नंबर के स्थान पर कोड सिस्टम अपनाया गया है. निष्पक्षता और परीक्षा का पवित्रता के लिए भविष्य में और भी कठोर निर्णय लिए जाएंगे.

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