चंडीगढ़ । हरियाणा सरकार ने प्राइवेट विद्यालयों के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में भर्ती करने से संबंधित कई नियमों में बदलाव किए हैं. नया शिक्षा सत्र 1 मई से आरंभ हो चुका है. सभी सरकारी स्कूलों में एडमिशन किए जा रहे हैं. पिछले वर्ष हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान लगभग 2,00,000 विद्यार्थियों ने प्राइवेट विद्यालयों को छोड़कर गवर्नमेंट विद्यालयों में एडमिशन करवाया था. इस वर्ष नए सत्र के दौरान हरियाणा सरकार ने सरकारी विद्यालयों के अध्यापकों को ज्यादा से ज्यादा एडमिशन का लक्ष्य दिया है.+
दूसरी ओर विद्यार्थियों के अभिभावकों के द्वारा प्राइवेट विद्यालयों द्वारा मनचाही फीस वसूल करने का मुद्दा हमेशा लगातार उठाया जा रहा है. अब प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर जाने वाले विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूल संचालक स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट प्रदान नहीं कर रहे हैं. इस स्थिति में अब हरियाणा सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. अब सरकारी स्कूल में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) की आवश्यकता नहीं होगी. सरकार द्वारा SLC की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है. अब शिक्षा के अधिकार के आधार पर ही विद्यार्थियों का एडमिशन किया जाएगा.
इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा स्टूडेंट को स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं दिया जा रहा है. लेकिन इसके आधार पर सरकारी विद्यालय में विद्यार्थियों का दाखिला रोका नहीं जाएगा. शिक्षा निदेशालय द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं कि वह विद्यालयों में आने वाले विद्यार्थियों का अस्थाई एसआरएन जारी करें. इस बीच विद्यार्थी जिस विद्यालय से आया है उस विद्यालय को एसआरएन जारी करने के लिए कहा जाएगा. यदि प्राइवेट स्कूल संचालक दो हफ्ते में एसआरएन नहीं देंगे तो गवर्नमेंट स्कूल द्वारा जारी किए गए अस्थाई नंबर को ही स्थाई मानकर स्टूडेंट की पढ़ाई को आरंभ करवा दिया जाएगा.
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