हरियाणा में अब भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए डीसी को मिली शक्तियां, प्रदेश सरकार ने लिया अहम फैसला

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने के लिए डीसी को और शक्तियां दी हैं. देश के फल स्वरुप डीसी 1 लाख रुपए तक के भ्रष्टाचार के मामलों तथा आरोपों की जांच कर सकेंगे. हरियाणा में अब डीसी के दायरे में बी सी डी श्रेणी के कर्मचारियों के साथ ही निकाय सदस्य और पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ीयों की शिकायत आएंगी. प्रदेश सरकार ने जिला में उपमंडल स्तर पर 10 दिन के अंदर विजिलेंस समितियां गठित कर रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए हैं.

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हरियाणा सरकार ने अहम निर्णय लेते हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने के लिए डीसी की शक्तियां बढ़ा दी गई है. अब भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायतों की जांच करने के बाद जिला में उपमंडल स्तरीय समितियां सरकार को अपनी सिफारिश देंगी. आवश्यकता पड़ने पर अब डीसी अपनी जांच के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर लिखने के लिए एसपी को कह सकते हैं. इसके साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय विजिलेंस समिति को आगामी कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी.

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जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के सेक्शन 17 ए के तहत यह अहम निर्णय लिया है. अधिनियम में छोड़े गए इस सेक्शन के तहत अब विजिलेंस ब्यूरो भ्रष्टाचार के मामले में सीधे आरोपी कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर पाएंगे. हरियाणा में अब डीसी की जांच में आरोप साबित होने के बाद ही विजिलेंस में पुलिस जांच शुरू हो पाएगी.

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ये होगा समितियों का प्रारूप

गौरतलब है कि अब जिला स्तरीय विजिलेंस समिति में एडीसी चेयरपर्सन होंगे. डीसी को प्रतिनिधि के तौर पर कार्यकारी अभियंता में शामिल किया जाएगा. वही डीजी विजिलेंस अपने प्रतिनिधि के रूप में एक डीएसपी नामित करेंगे. इसके अतिरिक्त विभागों के प्रतिनिधि व एक लेखा अधिकारी डीसी की ओर से शामिल किए जाएंगे. बता दें कि उपमंडल स्तर की समिति के चेयरमैन एसडीएम होंगे. जिसमें एक सब डिवीजन इंजीनियर के अलावा डीसी के प्रतिनिधि के तौर पर लेखा अधिकारी को भी शामिल किया जाएगा.

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ये समितियां किसी भी विभाग के कार्यों, अफसरों, कर्मियों की कार्यप्रणाली की औचक जांच कर सकेंगी. जनता से जुड़े विभागों पर इनकी विशेष नजर रहेगी. वित्तीय अनियमितताओं की यह गहनता से जांच कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपेंगी. वहीं जिले में उपमंडल स्तरीय समितियों किसी अधिकारी या विभागों के रिकॉर्ड को जांच के लिए तलब कर सकती हैं. बता दें कि मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी कर दिए हैं.

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