हरियाणा में सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करने पर होगी जेल, प्राइवेट अस्पतालों की मांगे मानी; पढ़ें नया कानून

चंडीगढ़ | राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में बनाए जा रहे शव सम्मान विधेयक (2023) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. निजी अस्पताल प्रबंधन के विरोध के बाद अब अस्पताल का बिल चुकाने पर ही शव मिलेगा. बिल में अस्पताल संचालकों को पैसे न होने की स्थिति में शव सौंपने का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन अब उस धारा को हटा दिया गया है. कुल मिलाकर सरकार बैकफुट पर आ गई है.

Anil Vij

अनिल विज ने दी हरी झंडी

हरियाणा में शव रखकर सड़क जाम करने के मामलों को रोकने के लिए गृह विभाग द्वारा प्रस्तावित हरियाणा शव सम्मान विधेयक को गृह मंत्री अनिल विज ने हरी झंडी दे दी है. बिल के मुताबिक, राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में भी शव रखकर सड़क जाम करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बिल को अब मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा गया है. सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान तय किया जाएगा.

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पुलिस की बढ़ेगी शक्तियां

गृह विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस विधेयक को लाने के पीछे की मंशा शव की गरिमा सुनिश्चित करना है. उनका कहना है कि इस बिल के लागू होने के बाद विरोध की स्थिति में शव का अंतिम संस्कार कराने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. बिल में डीएसपी और SHO को अपने स्तर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में समय पर शव का अंतिम संस्कार कराने की शक्तियां दी जाएंगी. हालांकि, अंतिम संस्कार करने से पहले पुलिस अधिकारियों द्वारा परिवार के सदस्यों को मनाया जाएगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें अंतिम संस्कार करने का पूरा अधिकार होगा.

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दो साल की सजा का प्रावधान

वैसे तो नेशनल हाईवे जाम करने के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है, जिसमें पुलिस केस दर्ज करती है लेकिन शव जाम करने के ज्यादातर मामलों में पुलिस बेबस नजर आती है. इस विधेयक में पड़ोसी राज्य राजस्थान का जिक्र किया गया है, जहां उक्त कानून के तहत शव रखकर सड़क अवरुद्ध करने पर दो साल की सजा का प्रावधान है. इतना ही नहीं, शव के साथ प्रदर्शन में शामिल होकर विरोध को भड़काने वाले नेताओं के खिलाफ 5 साल की सजा तय की गई है.

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बिल में होंगे ऐसे प्रावधान

बिल में तय किया जाएगा कि परिजनों को शव का अंतिम संस्कार समय पर करना होगा. अगर वे सड़क पर शव के साथ विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें एक साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है. खास बात यह है कि पुलिस कार्रवाई की जद में प्रदर्शन में शामिल अन्य लोग भी आएंगे, जिसमें सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं पर भी शिकंजा कसेगा.

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