चंडीगढ़ | हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी (INLD) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. देश को उपप्रधानमंत्री और हरियाणा को मुख्यमंत्री देने वाली इनेलो पर क्षेत्रीय दल का दर्जा गंवाने की नौबत खड़ी हो गई है. पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने इस पार्टी का सफर शुरू किया था, लेकिन परिवार में दो- फाड़ होने के बाद पार्टी सियासी वजूद बचाने की जद्दोजहद कर रही है.
परिवार की दो- फाड़ से बिखरी INLD
साल 2018 में पारिवारिक फूट के चलते INLD दो- फाड़ हो गई और अजय चौटाला ने अपनी अलग जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाई. यही से इनेलो की उलटी गिनती शुरू हो गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 2% वोट भी हासिल नहीं कर पाई, जबकि विधानसभा चुनाव में मात्र 2.44% वोट ही हासिल हुए थे. लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर करारी हार और विधानसभा चुनाव में एकमात्र ऐलनाबाद सीट पर अभय चौटाला ही जीत का स्वाद चख पाए थे.
गंवाने की आई नौबत
सियासी वजूद बचाने की जद्दोजहद में जुटी INLD को इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले, तो क्षेत्रीय दल का दर्जा व चश्मे का चुनाव चिन्ह तक छिन सकता है. हालांकि, पार्टी को मजबूती देने के लिए ओमप्रकाश चौटाला से लेकर अभय चौटाला नूंह से सिरसा तक जनता के बीच पहुंच रहे हैं. वहीं, पुराने नेता रामपाल माजरा की पार्टी में वापसी कराकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
इतने प्रतिशत वोट व इतनी सीटें जरूरी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि किसी भी पार्टी को लगातार दो चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो क्षेत्रीय दल का दर्जा छिन जाता है. लोकसभा चुनावों में 6% वोट और एक सीट या 8 प्रतिशत वोट की जरूरत होती है, जबकि विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटों पर जीत हासिल करना अनिवार्य होता है.
उन्होंने बताया कि नियमानुसार, अगर लगातार दो चुनाव (2 लोकसभा व 2 विधानसभा) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिन्ह भी छिन सकता है. ऐसे में 5 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला के लिए इनेलो पार्टी के सियासी वजूद को बचाने के लिए खासी जद्दोजहद करनी होगी.
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