चंडीगढ़ | हरियाणा सहित कई राज्यों में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. लू के थपेड़ो से इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी और फसलें भी प्रभावित हो रही है. प्रदेश के कई जिलों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंचा है. लू का असर जनजीवन के साथ फल-सब्जियों पर भी पड़ा है.
फसल बीमा पंजीकरण अनिवार्य
फल- सब्जी उत्पादक किसान लू से खराब हुई फसलों का मुआवजा भी ले सकते हैं. शर्त है कि उन्होंने फसल बीमा पंजीकरण करवाया हो. किसानों को आगजनी, बाढ़, सूखा, हीटवेव इत्यादि से फसलों के नुकसान को बीमा में कवर किया जा रहा है. इसके लिए किसान को बागवानी विभाग से पंजीकरण करवाना है.
मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत ओलावृष्टि, तापमान, पाला, जल कारक आंधी- तूफान व आग से नुकसान को कवर किया जाता है. खरीफ फसलों में लौकी, करेला, फूलगोभी, भिंडी, बैंगन, ककड़ी, टिंडा, तौरी, कद्दू, खीरा और अरबी फसल के लिए पंजीकरण 31 जुलाई तक करवा सकते हैं.
योजना में देय राशि व प्रीमियम
फसल बीमा राशि के हिसाब से प्रीमियम राशि (2.5%) ली जाती है. सब्जियां व मसाले पर 30 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा के हिसाब से 750 रुपए प्रति एकड़ प्रीमियम तय है. फल के बाग पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा के हिसाब से 1 हजार रूपए प्रति एकड़ प्रीमियम तय है.
प्रति एकड़ इतना मिलता है मुआवजा
- 0 से 25 प्रतिशत नुकसान पर मुआवजा राशि का लाभ नहीं मिलेगा
- 26 से 50 प्रतिशत नुकसान पर 15 हजार से 20 हजार रूपए
- 51 से 75 प्रतिशत नुकसान पर 22,500 से 30 हजार रुपए
- 75 से 100 प्रतिशत नुकसान पर 30 हजार से 40 हजार रूपए
नोट: नुकसान प्रतिशत मुआवजा दर सब्जियां व मसालें (रूपए प्रति एकड़) व फल (रूपए प्रति एकड़) आधार पर हैं.
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