चंडीगढ़ | राज्य सरकार द्वारा हरियाणा में डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) और जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (जेबीटी) बंद करने का निर्णय लिया गया था जिसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट नें रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट के मुताबिक, इन कोर्स को बंद करने का फैसला एकतरफा और समय से पहले लिया गया था. हाई कोर्ट ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की निर्माता केंद्र सरकार है, जिसने साफ तौर पर बताया है कि राष्ट्रीय शिक्षक परिषद की सीमा में आने वाले पाठ्यक्रम बंद अथवा जारी रखने का फैसला लेने में सिर्फ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ही सक्षम है.
राज्य के लिए एकपक्षीय निर्णय लेना अवांछनीय
इस बारे में हरियाणा सेल्फ फाइनेंस प्राइवेट कालेज एसोसिएशन ने हरियाणा सरकार के डिसीजन को चुनौती दी थी. सरकार ने 7 नवंबर 2022 को राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, राज्य में निजी स्व- वित्तपोषित कालेजों से डीएलएड या जेबीटी कोर्स को बंद करने का फैसला किया था. हाई कोर्ट का कहना है कि हरियाणा द्वारा कथित तौर पर नेशनल एजुकेशन पालिसी लागू करने के लिए यह निर्णय लिया गया है. इस बारे में राज्य के लिए एकपक्षीय निर्णय लेना अवांछनीय था.
सरकार ने जल्दबाजी में लिया निर्णय
इससे पहले केंद्र सरकार जैसे सभी हितधारकों और इन पाठ्यक्रमों को कवर करने वाले वैधानिक नियामक निकायों से सलाह ली जानी चाहिए थी. हरियाणा सरकार ने समय से पहले व जल्दबाजी में यह फैसला लिया. हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस दीपक मनचंद की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए हैं. इससे पहले एनसीटीई ने हाई कोर्ट में साफ किया था कि देश में डीएलएड या जेबीटी कोर्स बंद करने का निर्णय सिर्फ हरियाणा ने लिया है.
यह साफ किया गया था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए डीएलएड जैसे डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों को सुचारू रूप से चार साल के एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम पाठ्यक्रमों में बदला जाएगा, ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की न्यूनतम योग्यताएं पूरी करें. राष्ट्रीय शिक्षा नीति साल 2030 तक लागू की जानी है.
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