चंडीगढ़। पिछले महीने ड्रोन सर्वे के बाद विकास की योजना तेज हो गई है.सर्वे में चिन्हित जिले की 160 अनाधिकृत कॉलोनियों का ले-आउट प्लान तैयार कर लिया गया है.इसे जिला नगर योजनाकार द्वारा मुख्यालय भेज दिया गया है. इससे इन कॉलोनियों में जल्द ही सुविधाएं मिलने की उम्मीद जगी है.
आपको बता दें कि शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी कुछ लोगों ने नियमों की अनदेखी कर कालोनियों को काट दिया, लेकिन उनमें सुविधाएं नहीं दी गईं. ट्विन सिटीज की बात करें तो 250 से ज्यादा ऐसी कॉलोनियां हैं. जिले में इनकी संख्या 500 से अधिक होने का अनुमान है.जबकि पिछले माह हुए ड्रोन सर्वे में करीब 250 अनधिकृत कॉलोनियों की पहचान की गई है.
अधिकांश अनधिकृत कॉलोनियों को निगम क्षेत्र में काटा गया. खासकर उन गांवों में जो निगम में शामिल हुए हैं, उनकी संख्या ज्यादा है. लोगों ने कृषि भूमि में भूखंड काटकर उपनिवेश भी स्थापित किए.कहीं-कहीं कॉलोनियां आबाद हो गई हैं, लेकिन अनधिकृत पहुंच के कारण उनमें विकास कार्य नहीं हो पाया है.लोगों को सड़क, सीवरेज, स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं नहीं मिल पाईं.
280 अनधिकृत कॉलोनियों की हुई पहचान
बता दें लोगों ने इन अनधिकृत कॉलोनियों में सस्ते के हित में प्लॉट भी ले लिए.अब सुविधाएं नहीं मिलने पर रो रहे हैं. इसके लिए सरकार ने सभी अनाधिकृत कॉलोनियों का सर्वे किया. जिसमें 280 अनाधिकृत कॉलोनियों की पहचान की गई है.निगम क्षेत्र में ऐसी कॉलोनियों की संख्या भी कम नहीं है, जो 25-30 साल से बसी हुई हैं. उनके पास सुविधाओं का भी अभाव है.जबकि निगम टैक्स वसूल रहा है.
69 कॉलोनियों को किया गया नियमित
सरकार की ओर से साल 2018 में भी अनधिकृत कॉलोनियों का सर्वे कराया गया था. इस सर्वे में 171 कॉलोनियां अवैध पाई गईं.इनमें से 69 कॉलोनियों को नियमित किया गया. हालांकि इन सभी में अभी तक विकास कार्य नहीं हो सका है.इतना ही नहीं, निगम क्षेत्र के साथ रादौर, छछरौली, बुड़िया, छप्पर मंसूरपुर और सरस्वतीनगर में भी अवैध कॉलोनियों को काटा गया. कुछ लोगों ने घर भी बना लिए.
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