चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 13 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक आयोजित होगा, लेकिन इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल होने पर सस्पेंस बना हुआ है. शून्यकाल भी होगा अथवा नहीं, इस संबंध में भी फैसला विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की 13 नवंबर को सत्र आरंभ होने से पहले होने वाली बैठक में लिया जाएगा. शून्यकाल का आयोजन किया जाता है तो विधायक अपनी- अपनी समस्याएं तो सदन में उठा सकेंगे, लेकिन मंत्री उनका जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होंगे.
विधानसभा नियमावली आ गई आड़े
विधानसभा की कार्यवाही का स्वरूप बदलने के पीछे विधानसभा नियमावली आड़े आ गई है. दरअसल, विधायकों के शपथ- ग्रहण तथा स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के चुनाव के लिए 25 अक्टूबर को एक दिवसीय शपथ- ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था. इस दिन स्पीकर ने कार्यवाही समाप्त करते समय अनिश्चिकाल के लिए स्थगित करने की बजाए केवल कार्यवाही को स्थगित किया था.
ये हैं तकनीकी विवाद
अब 13 नवंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 25 अक्टूबर वाले सत्र की निरंतरता में ही माना जा रहा है. विधानसभा कार्य- प्रक्रिया संचालन नियमावली के अनुसार, सदन में प्रश्नकाल में शामिल होने वाला कोई भी विधायक सत्र की शुरुआत से 15 दिन पहले तक विधानसभा सचिवालय को अपने प्रश्न भेज सकता है, जिसको सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाता है.
अब यहां तकनीकी विवाद यह है कि नई सरकार ने 17 अक्टूबर को शपथ- ग्रहण किया था. सदन में 10 अक्टूबर तक आए सवालों को ही कार्यवाही का हिस्सा बनाया जा सकता है, लेकिन उस समय तक सरकार का गठन ही नहीं हुआ था. ऐसे में इस सत्र के दौरान अन्य सभी विधायी कार्य होंगे, लेकिन नए चुनकर आए विधायकों को प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलेगा.
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