हरियाणा में इस बार सरसों के किसान चिंतित, निजी बाजार में कीमतों में भारी गिरावट दर्ज

चंडीगढ़ | सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की कमी के कारण हरियाणा में सरसों के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित ₹5,450 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुकाबले ₹4,800 से ₹5,200 प्रति क्विंटल पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हरियाणा में सरसों के उत्पादक बहुत चिंतित हैं क्योंकि निजी बाजार में कीमतों में लगभग 25% की भारी गिरावट दर्ज की गई है. हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एक बयान में कहा कि सरसों की खरीद 28 मार्च से, चना की 1 अप्रैल से और सूरजमुखी की 1 जून से शुरू होगी.

यह भी पढ़े -  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने HSSC पर लगाया 3 लाख का जुर्माना, महिला उम्मीदवार को नियुक्ति देने का भी आदेश

mustered mandi sarso

कारोबारी लगा रहे कीमतों में गिरावट का अनुमान

निजी कारोबारी भी कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान लगा रहे हैं क्योंकि पिछले छह महीनों में घरेलू बाजार में कच्चे पाम तेल और सरसों के तेल की कीमतों में गिरावट आई है और खुदरा कीमतें 200 रुपये से घटकर करीब 150 रुपये प्रति लीटर पर आ गई हैं. साथ ही, कीमतों में अचानक आई गिरावट ने उन व्यापारियों को भी चिंतित कर दिया है. जिनके पास सरसों का भारी स्टॉक है और वे अपनी उपज ऊंचे दामों पर बेचने का इंतजार कर रहे हैं और निजी व्यापारी भी इस साल खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

यह भी पढ़े -  हरियाणा का किसान ठेके पर जमीन लेकर हुआ मालामाल, सब्जियों की खेती से कमा रहा सालाना 10 लाख रुपए

किसानों ने दी ये प्रतिक्रिया

पीली सरसों का भाव पिछले साल के 7,000 रुपये से घटकर 5,400 रुपये पर आ गया है. सरसों की जल्दी पकने वाली किस्मों की कटाई जोरों पर है लेकिन गिरती कीमतों ने किसानों को निराश कर दिया है क्योंकि सरकारी एजेंसियां ​​28 मार्च से खरीद शुरू करेंगी. एक किसान का कहना है कि उसने पिछले साल के 7,150 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में चार एकड़ में सरसों (पीली) को 5,300 रुपये प्रति क्विंटल में बेचा है. इस साल उपज भी अच्छी है, लेकिन कीमतों में गिरावट से प्रति एकड़ करीब 15 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.

यह भी पढ़े -  हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों के घरों में लगेंगे स्मार्ट मीटर, बिजली विभाग को मिलेगा लाभ

चूंकि, जल्दी पकने वाली किस्मों की कटाई अपने चरम पर है, इसलिए किसानों की मांग है कि सरकार को किसानों के हित में खरीद कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए. एक अन्य किसान का कहना है कि मुझे अपनी उपज निजी खरीदारों को ₹5,100 प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचनी है क्योंकि मैं इसे एक महीने तक स्टोर नहीं कर सकता और सरकारी खरीद की प्रतीक्षा नहीं कर सकता.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!

exit