चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार इस साल पराली प्रबंधन की दिशा में ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार से तारीफें बटोर रही है. कृषि एवं कल्याण विभाग के अधिकारियों के बेहतर तालमेल का नतीजा है कि इस साल पराली जलाने के मामलों में भारी कमी आई है. यही नहीं सरकार के प्रयासों से प्रदेश का किसान भी जागरूक हुआ है और उसने प्रदुषण मुक्त वातावरण बनाने की दिशा में सरकार का सहयोग करना बेहतर समझा है.
वहीं, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल भी केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को आश्वस्त कर चुके हैं कि हरियाणा सरकार प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर बेहद गंभीर है और इसके लिए सभी प्रकार की योजनाओं को धरातल पर प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है. वहीं प्रदेश सरकार पराली को एमएसपी पर खरीदने की योजना भी बना रही है जिससे किसानों को सीधा फायदा मिलें और उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो सकें.
हरियाणा में व्यापक सुधार
पराली प्रबंधन को लेकर इस साल हरियाणा सरकार ने 94 करोड़ रुपए की लागत से 7,146 मशीनें उपलब्ध कराई है. इसके अलावा पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. अभी तक प्रदेश के महज 11 जिलों में पराली जलाने की छोटी- मोटी घटनाएं सामने आई है जबकि बाकी 11 जिलों में एक भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ है. खास बात यह है कि धान सीजन के दौरान पराली जलाने से जो हर साल हरियाणा में स्मॉग की समस्या होती थी, इस बार प्रदेशवासियों को फिलहाल इस समस्या से राहत मिलती दिख रही है.
पराली प्रबंधन पर ठोस कदम
हरियाणा कृषि विभाग के महानिदेशक डॉ हरदीप सिंह ने बताया कि पिछले चार सालों में किसानों को सीएचसी के जरिए और व्यक्तिगत रूप से 564 करोड़ रुपए से 72,777 मशीनें उपलब्ध करवाई गई है. इनमें बेलिंग यूनिट, सुपर सीडर,जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीनें शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इन- सीटू- मेनेजमेंट के तहत किसानों को प्रति एकड़ बेलिंग के लिए 1,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. साथ ही बेलर्स के परिवहन के लिए 500 रुपए प्रति एकड़ अधिकतम 15 हजार रुपए तक गौशालाओं को दिए जा रहे हैं.
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