चंडीगढ़ । अभी तक वृद्धावस्था पेंशन बनवाने के लिए बुजुर्गों को सरकारी अस्पतालों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन अब ऐसा नहीं करना होगा. सरकार ने अब पेंशन बनवाने की राह एकदम आसान कर दी है. अब विभाग के कर्मचारी घर पर जाकर पेंशन बनाने की प्रक्रिया पूरी करेंगे और यह सब संभव हो पाया है, पीपीपी मॉडल यानि परिवार पहचान पत्र के माध्यम से
अभी तक बुजुर्गों को समाज कल्याण विभाग के आफिस में जाकर साबित करना पड़ता था कि उसकी उम्र 60 साल हो चुकी है, उसकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपए या इससे कम है. सबसे अधिक परेशानी आयु सत्यापित करने को लेकर होती थी और इसके लिए उन्हें सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते थे.
डाक्टरों के पास भी कोई ऐसा पैमाना नहीं है जो उम्र सत्यापित कर सके. ऐसे में शरीर से हष्ट- पुष्ट लोग 60 साल की उम्र पूरी होने पर भी वृद्धावस्था पेंशन से वंचित रह रहे थे और इसके विपरित शारिरिक रूप से कमजोर लोग पेंशन के पात्र बन जाते हैं. बुजुर्गो को पेंशन बनवाने के लिए बार बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और पेंशन के लिए मंत्रियों से लेकर विधायकों तक की सिफारिश करवानी पड़ती थी लेकिन अब इस प्रकिया में हरियाणा सरकार ने पूरी तरह से बदलाव कर दिया है.
पीपीपी से आसान हुई पेंशन बनाने की राह
सरकार ने बुढ़ापा पेंशन को परिवार पहचान पत्र यानि पीपीपी से जोड़कर बुजुर्गों को बड़ी राहत देने का काम किया है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत गत सात अप्रैल को सीएम मनोहर लाल ने इस योजना का शुभारंभ किया था. पीपीपी में 60 वर्ष आयु पूरी करने वाले बुजुर्गों की सूची जिला मुख्यालय पहुंच जाती है और इस सूची के आधार पर विभाग के कर्मचारी पेंशन के हकदार लोगों की पेंशन प्रकिया पूरी कर जल्द ही उनकी पेंशन बनाने का काम पूरा कर रहे हैं.
उम्र पूरी होते ही प्रिड भेजत है सूची
पीपीपी में दर्ज आंकड़ों के सर्वेक्षण का कार्य प्रिड संस्था करती है. जिला स्तर पर यह कार्य एडीसी के अधीन होता है. प्रिड की ओर से पीपीपी में दर्ज आय व दूसरे ब्योरे की फिजिकल वेरिफिकेशन कराई जाती हैं और उम्र और आय जैसी पहलुओं की जानकारी पुख्ता पाए जाने के बाद प्रिड की ओर से समाज कल्याण विभाग के मुख्यालय को पेंशन के पात्र लोगों की सूची भेज दी जाती है. यह कार्य प्रदेश स्तर पर किया जाता है. इसके बाद मुख्यालय इस सूची को जिलावार बनाते हुए जिला मुख्यालयों पर भेज देता है.
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