चंडीगढ़ | हरियाणा में काम कर रहे कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की जो नीति तैयार की जा रही है, उसमें अधिकारी रोड़े अटका रहे हैं. हाईकोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया है कि कई सालों से काम कर रहे पुराने कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कोई नीति बनाई जाए. इसके लिए सरकार ने 13 मार्च को सभी विभागों से पांच साल से ज्यादा समय से कार्यरत सभी कच्चे कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी.
1 महीने बाद भी सरकार को नहीं मिली जानकारी
अधिकतर विभागों ने 1 महीने बाद भी वांछित ब्योरा सरकार तक नहीं पहुंचाया है. अब मानव संसाधन विभाग ने दोबारा से सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को रिमांइडर भेजते हुए सभी विभागों और बोर्ड- निगमों में अनुबंध पर लगे कर्मचारियों की जानकारी भेजने की मांग की है.
निर्धारित फार्मेंट में एक हफ्ते में आउटसोर्सिंग पालिसी पार्ट- 1 और आउटसोर्सिंग पालिसी पार्टी 2 के तहत लगे सभी कर्मचारियों का ब्योरा सरकार को देना होगा. द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पदों पर पांच से 10 साल से सेवारत अनुबंधित कर्मचारियों के बारे में तत्काल जानकारी देने के लिए कहा गया है.
अनुबंध कर्मचारियों के बारे में मांगी गई जानकारी
निर्धारित प्रोफार्मा में 7 साल से ज्यादा मगर 10 वर्ष से कम की सेवा अवधि वाले अनुबंधित कर्मचारियों की कुल संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई है. इसी प्रकार ऐसे अनुबंधित कर्मचारियों का भी ब्योरा मांगा गया है, जिनकी सेवा अवधि पांच साल से ज्यादा लेकिन सात साल से कम है. ऐसे अनुबंधित कर्मचारियों को भी वर्गीकृत किया जाएगा, जिन्होंने ग्रुप- B, C और D में 10 सालों से ज्यादा समय के लिए काम किया है.
हाई कोर्ट दिखा रहा सख्ती
इस मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया हुआ है. सरकार ने कच्चे कर्मचारियों के लिए एक अलग काडर बनाने का शपथपत्र दिया था, जिसमें कच्चे कर्मचारियों को नियमित न कर गेस्ट अध्यापकों की तरह 58 साल तक सेवाएं सुनिश्चित करने की बात कही गई. सरकार के इस जवाब पर पीठ ने साफ कर दिया था कि अलग काडर नहीं, बल्कि एक पॉलिसी बनानी होगी.
इसके तहत पुराने कच्चे कर्मचारियों की सेवा को रेगुलर किया जा सके. विशेष रूप से उन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई जाए, जहां कच्चे कर्मचारी अपने जीवन के 20 साल देने के बाद मर जाते हैं, लेकिन पदों की कमी की वजह से उन्हें नियमित नहीं किया जाता है.
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