हरियाणा के शहरों में बिल्डिंगों की चौथी मंजिल गिराए जाने के आदेश जारी, खट्टर सरकार की पॉलिसी रद्द

चंडीगढ़ | हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार (Khattar Govt) द्वारा पिछले साल की शुरुआत में स्टिल्ट प्लस 4 मंजिला भवनों के निर्माण को मंजूरी देने के लिए नीति बनाई थी, लेकिन इस पर विवाद होने के बाद 23 फरवरी 2023 को विभाग के उस समय के महानिदेशक टीएल सत्य प्रकाश द्वारा उस नीति पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी गई थी. उसके बावजूद, काफी संख्या में आर्किटेक्ट्स द्वारा ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए. इनमें चौथी मंजिल के लिए बिल्डिंग प्लान को मंजूरी नहीं दी गई थी.

Buliding Flat House Ghar

अवैध निर्माण ढहाने के आदेश जारी

अब शहरी क्षेत्र में स्टिल्ट प्लस 4 मंजिला बिल्डिंगों के निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि चौथी मंजिल बनाने वाले बिल्डरों और भवन मालिकों को अवैध निर्माण को ढहाना होगा. बिल्डिंग को पहले वाली मूल स्थिति में लाना होगा. इसके अलावा, चौथी मंजिल पर बने निर्माण को लेकर हर प्रकार के खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी गई है. इस विषय में नगर आयोजन विभाग द्वारा आदेश जारी हो चुके हैं.

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की जाएगी दंडात्मक कार्रवाई

उन सभी आर्किटेक्ट्स के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने 23 फरवरी 2023 से पहले स्वीकृत भवन योजना के बिना चौथी मंजिल के लिए OC जारी किए हैं. फिलहाल, इमारत के लिए व्यवसाय प्रमाण पत्र जाने जारी करने पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा, सभी व्यवसाय प्रमाण पत्र हरियाणा बिल्डिंग कोड- 2017 के नियमों के अनुसार है, यह भी सुनिश्चित करना होगा.

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गौरतलब है कि इस मामले से जुड़े विवाद को निपटने के लिए सरकार की तरफ से हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अध्यक्ष पी राघवेंद्र राव की अगुवाई में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया था. इसके द्वारा सरकार को रिपोर्ट भी सोपी जा चुकी है, लेकिन वह अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.

शहरी क्षेत्रों में बढ़ी ये डिमांड

यहां आपके लिए जानना जरूरी है कि स्टिल्ट प्लस 4 मंजिलों का निर्माण ऐसी जगह पर किया जाता है, जहां की जमीन की कीमत तो अधिक है, लेकिन जगह सीमित है. ऐसी जगह पर डेवलपर्स द्वारा आवासीय या व्यावसायिक उपयोग के लिए एक्स्ट्रा स्पेस बनाया जाता है. हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में इसकी डिमांड लगातार बढ़ी है. हालांकि, विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे निर्माण से आसपास के बुनियादी ढांचे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इससे यातायात में वृद्धि, पार्किंग और जल निकासी जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.

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