चंडीगढ़ | हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की योजना बना रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक- एक विधानसभा सीट पर जीत के समीकरण बिठा रही है. पार्टी एक तरफ जहां ज्यादातर दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने को लेकर गंभीरता दिखा रही है, तो वहीं दूसरी ओर सीएम नायब सैनी के मंत्रिमंडल में शामिल अधिकतर राज्य मंत्रियों को फिर से चुनावी रण में सक्रियता बढ़ाने का इशारा किया गया है. हालांकि, इनमें से कई राज्य मंत्रियों को अपनी- अपनी विधानसभा सीट पर टिकट की दावेदारी पेश कर रहे नेताओं से भी जुझना पड़ रहा है.
मंत्रिमंडल में 7 राज्य मंत्री
मनोहर लाल की जगह नए मुख्यमंत्री बनाए गए नायब सैनी के मंत्रिमंडल में 7 राज्य मंत्री बनाए गए थे. उस दौरान लोकसभा चुनावों के चलते ये मंत्री अपनी विधानसभा में ज्यादा कार्य नहीं करवा पाए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी राज्य मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में करीब 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के काम हुए अथवा स्वीकृत किए गए हैं. इससे उन्हें चुनावी रण में मजबूती मिल रही है.
कुछ मंत्रियों की टिकट पर खतरा
गुरुग्राम में हुई प्रदेश चुनाव समिति की 2 दिवसीय बैठक में पार्टी के सभी दिग्गजों को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने का इशारा किया गया है. केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, राज्यसभा सदस्यों, पूर्व सांसदों और लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम पर आखिरी निर्णय बीजेपी हाईकमान पर छोड़ा गया है.
सीएम नायब सैनी के मंत्रिमंडल में शामिल अधिकतर राज्य मंत्रियों से कहा गया है कि वे अपने दिमाग में टिकट कटने का डर न रखें. इसके बावजूद कुछ कैबिनेट व कुछ राज्य मंत्रियों के टिकटों पर तलवार लटके होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. जमीनी स्तर पर हुएं सर्वे में जिन राज्य व कैबिनेट मंत्रियों की रिपोर्ट सही पाई गई है, उनका चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
राज्य मंत्रियों पर कितना भरोसा जताएगी BJP
- सिंचाई राज्य मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव की साफ सुथरी छवि और नांगल चौधरी में उनकी पकड़ पार्टी के काम आ रही है. अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल वैश्य बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं, जबकि पानीपत ग्रामीण के विधायक महिपाल सिंह ढांडा की जाटों में पकड़ मजबूत हो रही है.
- खेल एवं वन राज्य मंत्री संजय सिंह पूरे प्रदेश में BJP के अकेले राजपूत विधायक हैं, जिन पर पार्टी का पूरा भरोसा टिका है. उन्होंने तावडू व नूंह से भी चुनाव लड़ा हैं तथा पार्टी में प्रदेश सचिव की भूमिका में रह चुके हैं. बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा की दावेदारी भी मजबूत है, लेकिन उन्हें अपनी विधानसभा में बीजेपी नेताओं को नजर अंदाज करना महंगा पड़ सकता है.
- बवानीखेड़ा विधायक विशंभर वाल्मीकि को लेकर जनता में नाराजगी है. लेकिन फिर भी उन्हें सक्रिय रहने के लिए कहा गया है. थानेसर विधायक सुभाष सुधा के विकास कार्यों से जनता संतुष्ट नजर आ रही है.