चंडीगढ़ | हरियाणा में मरीजों को अब ईसीजी या एक्स-रे कराने के लिए अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में ईसीजी और एक्स-रे मशीन उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा, जर्जर हालत में चल रहे 162 पीएचसी को तोड़कर नए सिरे से बनाया जाएगा. खास बात यह है कि इन सभी पीएचसी का डिजाइन एक जैसा होगा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. आदेशों के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों के लिए जो भी दवा कंपनियों से खरीदी जाएगी, उसमें WHO GMP (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) नियमों के मानकों को पूरा करना जरूरी है.
WHO- GMP का होना चाहिए सर्टिफिकेट
दवाओं की खरीद के लिए दर अनुबंध में वही कंपनियां भाग ले सकेंगी जो जीएमपी मानदंडों को पूरा करेंगी. सरकार ने दवा बनाने वाली कंपनियों के लिए WHO- GMP सर्टिफिकेट होना अनिवार्य कर दिया है. जिन कंपनियों के पास यह सर्टिफिकेट नहीं होगा वे रेट कॉन्ट्रैक्ट में हिस्सा नहीं ले सकेंगी.
पैनलबद्ध करने की नीति में परिवर्तन
इसी तरह अस्पतालों के लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US- FDA) प्रमाणित उपकरण लिए जाएंगे ताकि डॉक्टर मरीजों का अच्छे से इलाज कर सकें. स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि निजी अस्पतालों के पैनल में शामिल करने की नीति में भी बदलाव किया गया है. जिसके तहत, राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त अस्पताल ही पैनल में शामिल होंगे.
ऑनलाइन माध्यम से मिलेगी जानकारी
नई शर्त के चलते प्रदेश के करीब 400 निजी अस्पतालों ने एनएबीएच सर्टिफिकेट ले लिया है. सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को ई- उपचार से जोड़ा जा रहा है ताकि मरीजों की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध हो सके. ऐसे में सरकार की पूरी कोशिश है कि मरीजों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े उन्हें सुविधाएं जल्द से जल्द मिल सके.
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