चंडीगढ़ | हरियाणा में बेघर परिवारों या फिर कच्चे मकानों में रह रहे परिवारों को सिर पर छत उपलब्ध कराने के लिए नए सिरे से हाउसिंग पॉलिसी बनाई जाएगी. प्रदेश सरकार व्यापक हाउसिंग पॉलिसी तैयार कर रही है ताकि गांवों और शहरों में सभी जरूरतमंदों को रहने के लिए आवास मिल सकें. वर्तमान में गरीबों को आशियाना उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना संचालित है.
प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी के तहत शहरों और प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के तहत गांवों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है.
पिछले आठ सालों में शहर और गांवों से कुल 3 लाख 60 हजार 16 परिवारों ने सहायता राशि के आवेदन किया है लेकिन 56 हजार परिवारों को ही इस योजना के तहत मदद मिल पाई है. यही वजह है कि गरीब परिवारों को मकान निर्माण में मदद के लिए सरकार ने नए सिरे से व्यापक हाउसिंग पॉलिसी बनाने पर मंथन शुरू कर दिया है.
विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक बलबीर सिंह ने गरीबों को आवास नहीं मिल पाने का मुद्दा उठाते हुए पूछा था कि राज्य में साल 2014-22 तक बीपीएल परिवारों के लिए कितने मकान बनाए गए और कितने लोगों को मकान मरम्मत के लिए पैसा मिला है. साल 2024 तक क्या सभी जरुरतमंद गरीब परिवारों को बने बनाए मकान उपलब्ध कराने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है.
इस सवाल का जवाब देते हुए स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने बताया कि आवास की मांग का आकलन करने के लिए शहरी क्षेत्रों में 2017 में सर्वेक्षण किया गया था. सर्वे पर आधारित अनुमोदित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार, 2,48,895 आवेदक उस समय पात्र पाए गए थे. शहरों में रह रहे जिन लोगों के पास देश के किसी भी हिस्से में पक्का घर नहीं था, ऐसे 27 हजार 955 लाभार्थियों को मकान बनाने के लिए 475 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के अन्तर्गत ऐसे लोगों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिनके पास आशियाना नहीं है या फिर एक- दो कमरे का कच्चा घर है. पोर्टल पर आर्थिक मदद के लिए एक लाख 68 हजार परिवारों ने दावा किया था, जिनमें से एक लाख 11 हजार 121 परिवारों के आवेदन सत्यापन के बाद सही पाए गए हैं. इनमें से 28 हजार 346 परिवारों को मकान निर्माण और मरम्मत के लिए 341 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई है.
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