चंडीगढ़ । केन्द्र की बीजेपी सरकार के विस्तार के पश्चात अब हरियाणा की गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में बदलाव की तैयारी है. हालांकि इसको लेकर चर्चाओं का बाजार काफी दिनों से गर्म हैं लेकिन अब जल्द ही फेरबदल होने की संभावना है. मनोहर लाल कैबिनेट से कुछ दिग्गज मंत्रियों की विदाई तय मानी जा रही है तो कुछ नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल हों सकते हैं. डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के कोटे से भी एक मंत्री बनना तय है.
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों को उनके कामकाज की कसौटी पर कसकर राज्यों के लिए भी नजीर पेश करने का काम किया है. इसी तर्ज पर अब हरियाणा मंत्रिमंडल में भी बड़े फेरबदल की आंशका जताई जा रही है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह ही अपने मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों की कामकाज के आधार पर छुट्टी कर सकते हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री को पार्टी संगठन में सहमति बनाने में कोई कठिनाई भी नहीं होंगी.
कामकाज की समीक्षा रिपोर्ट पर बदले जा सकते हैं कई चेहरे
प्रदेश में फिलहाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा- जजपा गठबंधन सरकार शासन कर रही है. फिलहाल राज्य मंत्रिपरिषद में दो मंत्रियों के पद खाली हैं. इनमें से एक भाजपा के कोटे से तो दूसरा सरकार में सहयोगी जेजेपी पार्टी के कोटे से बनाया जाएगा. मनोहर लाल मंत्रिमंडल में इस समय मुख्यमंत्री से अलग सात कैबिनेट और चार राज्य मंत्री सहित कुल मंत्रियों की संख्या 12 हैं. राज्य में अधिकतम 14 मंत्री बनाएं जा सकते हैं.
सीएम के व्यवस्था परिवर्तन अभियान में सहयोगी नहीं बन पाए मंत्रियों की छुट्टी करने का बना आधार
कोरोना की दूसरी लहर के मंद पड़ते ही जेजेपी पार्टी ने चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक अपने कोटे के एक मंत्री बनाने के लिए भाजपा पर दबाव बनाया हुआ है. हालांकि मनोहर लाल पिछले कई दिनों से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं दिखाई दे रहे थे क्योंकि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह ही अपने मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल करना चाहतें हैं. वह कोरोना काल के दौरान मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट के आधार पर कुछ मंत्रियों की छुट्टी करना चाह रहे हैं.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले शासनकाल की तरह ही राज्य में व्यवस्था परिवर्तन अभियान में सहयोगी नहीं बन पाए मंत्रियों की छुट्टी करना चाहते हैं. तब उन्होंने विधायक विक्रम ठेकेदार और विधायक घनश्याम सर्राफ को हटाकर मनीष ग्रोवर, विपुल गोयल और डॉ बनवारी लाल को मंत्रिमंडल में जगह दी थी.
उपचुनाव भी है देरी की वजह
राज्य में ऐलनाबाद उपचुनाव को भी मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह माना जा रहा है. भाजपा के लिए ऐलनाबाद उपचुनाव काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि ऐलनाबाद उपचुनाव के दौरान मंत्रिपरिषद में खाली पड़े 1-2 पदों का राजनीतिक लाभ उठाया जा सकता है.
इनको बनाया जा सकता है मंत्री और ये हों सकते हैं बाहर
संभावनाएं यहां तक जताई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री सिर्फ दो मंत्रियों के कोटे के साथ मंत्रिमंडल में भी बदलाव करना चाहते हैं. इसमें 3-4 मंत्रियों की जगह नए चेहरों की इंट्री के साथ कुछ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल शामिल हैं. इस फेरबदल की कवायद में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को मंत्रिमंडल में शामिल करके अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी और अनुभवी विधायक को बिठाने की भी संभावना है.
मनोहर सरकार में तीसरे नंबर के मंत्री अनिल विज से भी गृह विभाग छीना जा सकता है. किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज ना करवा पाने वाले मंत्रियों के लिए भी खतरें की घंटी बज सकती है.
कामकाज के आधार पर जिन मंत्रियों के लिए आने वाले दिन मुश्किलों भरें हों सकते हैं उनमें कृषि मंत्री जेपी दलाल, सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव, बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला, महिला विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा और खेल मंत्री संदीप सिंह के नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं.
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