चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में लार्ज स्केल लैंड मैपिंग को लेकर भू- राजस्व अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की. इस मौके डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि भूमि मैपिंग का कार्य करने के लिए व्यापक स्तर पर चलाएं जा रहें अभियान में तेजी लाई जाएं ताकि राज्य की कृषि भूमि का डाटा उपलब्ध हों सकें.
तीन चरणों में होगा लैण्ड मेपिंग कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश गांवों का ड्रोन बेस मैपिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है. स्वामित्व योजना की तरह प्रदेश की कृषि भूमि की मैपिंग का कार्य किया जाएगा और राजस्व रिकॉर्ड को परिवार पहचान पत्र से जोड़ा जाएगा. लार्ज स्केल मैपिंग कार्य को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. पहले चरण में ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि की मैपिंग तथा इस पर बने हुए स्ट्रक्चर के मानचित्र बनाने का कार्य किया जाएगा. दूसरे चरण में शहरों में इंडस्ट्री क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी, इससे पैमाइश के कार्य में मदद मिलेगी.
रोवर्स मशीन से पटवारियों को किया जाएगा प्रशिक्षित
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि भूमि की मैपिंग का कार्य करने के लिए रोवर्स मशीन से पटवारियों को ट्रैनिंग दी जाएगी. इसके लिए प्रत्येक तहसील स्तर पर दो दो रोवर्स (जीपीएस) मशीन खरीद कर मुहैया करवाई जाएंगी. हर तहसील को रोवर्स मशीन से जोड़ा जाएगा ताकि खेतों की पैमाइश आसानी से की जा सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में 19 स्थानों पर कंटीन्यूअस रैफ्रेसिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं. इनके माध्यम से आसपास के एरिया में 500 किलोमीटर के दायरे में जीपीएस लोकेशन का आसानी पता चल सकेगा. इसके अलावा 16 जीआईएस लैब भी प्रदेश भर में स्थापित की गई हैं.
मजबूत रेफरेंस प्वाइंट लगाए जाएंगे
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि लार्ज स्तर पर लैंड मैपिंग का कार्य होने से सभी भूमि मालिकों की जमीन की जानकारी स्पष्ट हो सकेगी. इसके अलावा स्कूल, शामलाती ढांचा, धार्मिक स्थल आदि भूमि की लोकेशन भी सही मिल सकेगी. इसके अलावा गांवों में मुरब्बा स्टोन की तरह तकनीक आधारित 25 मुरब्बे के क्षेत्रफल में गहरे एवं मजबूत रेफरेंस प्वाइंट बनाए जाएंगे जिससे मुरब्बा स्टोन की लोकेशन भी निर्धारित हो सकेगी. लोग जानकारी के लिए इन रेफरेंस प्वाइंट का उपयोग कर सकेंगे.
अगस्त 2022 तक मेपिंग कार्य होगा पूरा
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि लैंड मैपिंग का कार्य करने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में 3 टीमें लगाई गई. इसके अलावा 15 मार्च तक और टीमें लगाई जाएंगी. इस प्रकार प्रदेश भर में कुल 44 टीमें लैंड ड्रोन मैपिंग का कार्य करेंगी जिसे अगस्त 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार प्रदेश में जमीन सुधार के लिए नया सिस्टम लेकर आ रही है. इसके माध्यम से सारी कृषि जमीन का रिकॉर्ड ही उपलब्ध हो जाएगा. उन्होंने बताया कि जमाबंदी के लिए भी नया फॉर्मेट तैयार किया गया है जिसमें पीपीपी का कॉलम जोड़ा गया है. कृषि भूमि को परिवार पहचान पत्र से भी जोड़ने का कार्य किया जाएगा.
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