नई दिल्ली । चौतरफा महंगाई की मार ने आमजन का हाल-बेहाल किया हुआ है. पेट्रोल- डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है तो वहीं पिछले एक साल में सरसों के तेल के दाम बढ़कर करीब दोगुना हो चुके हैं, जिससे महिलाओं के लिए घर में खाना पकाना तक दूभर होता जा रहा है.
करीब दोगुना हो गए हैं दाम
बता दें कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान सरसों के तेल की कीमत 90-95 रुपये प्रति लीटर थे. अब वही कीमत बढ़कर 170 से 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. इससे पहले भी वर्ष 2019 से 2020 के बीच में सरसों के तेल में करीब 50 % की बढ़ोतरी हुई थी.
नाकाफी साबित हुए सरकार के कदम
रिपोर्ट के मुताबिक देश में मांग के अनुपात में खाद्य तेलों का उत्पादन बहुत कम है. ऐसे में स्थानीय मांग पूरी करने के लिए विदेशों से खाद्य तेल आयात करना पड़ता है. सरकार ने खाद्य तेलों के दाम में कमी लाने के लिए सोयाबीन के तेल, पाम ऑयल और सूरजमुखी के तेल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को कम कर दिया था. इसके साथ ही बेसिक ड्यूटी में भी कमी की गई.
बढ़ती मंहगाई ने बिगाड़ा लोगों का बजट
शुरुआती कुछ दिनों में सरकार के इन कदमों का असर नजर आया. हालांकि बाद में वे उपाय भी फेल हो गए. जिसके बाद से खाद्य तेलों की कीमतें लगातार आसमान की ओर बढ़ती चली जा रही है. इससे लोगों की रसोई का बजट लगातार बिगड़ता जा रहा है.
भोजन पकाने के लिए सरसों का तेल एक जरूरी खाद्य पदार्थ है. काफी परिवारों ने महंगाई से बचने के लिए इस तेल का इस्तेमाल कम कर दिया है. लेकिन परेशानी इस बात की भी हैं कि बिना सरसों के तेल के वे भोजन कैसे पकाएं.
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