चंडीगढ़ | हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं. इस दौरान सरपंच पद का चुनाव लड़ें बहुत से प्रत्याशियों ने प्रचार के दौरान गांव में शराबबंदी लागू करने का वादा किया था. उन्होंने कहा था कि गांव में शराब का ठेका नहीं खुलने दिया जाएगा. ऐसे में चुनाव जीतकर सरपंच प्रतिनिधियों के पास इस वादे को पूरा करने का सुनहरा अवसर है.
पूरे हरियाणा से अगर कोई भी ग्राम पंचायत अपने गांव में शराबबंदी चाहती है तो उसे ग्राम सभा की बैठक में प्रस्ताव पास कर 31 दिसंबर से पहले BDPO कार्यालय या फिर आबकारी एवं कराधान विभाग कार्यालय में जमा करवाना होगा. इसके बाद मुख्यालय स्तर पर सुनवाई होगी और प्रस्ताव भेजने वाली ग्राम पंचायत अगर विभाग की सभी शर्तों और नियमों पर खरा उतरती है तो अगले वित्तीय वर्ष में गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा. यह वित्तीय वर्ष जून 2023 को पूरा हो रहा है.
डिप्टी सीएम ने किया था एक्ट में संशोधन
बता दें कि हरियाणा की गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (आबकारी एवं कराधान विभाग मंत्री) ने शराबबंदी एक्ट में संशोधन करते हुए फैसला लिया था कि जो पंचायत अपने गांव में शराब ठेका नहीं खुलवाना चाहती है तो उन्हें अपने गांव के 10 फीसदी वोटर्स की सहमति के साथ 31 दिसंबर से पहले ग्राम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित कर 15 जनवरी तक विभाग के कार्यालय में जमा करवाना होगा. ग्राम सभा की बैठक में पंचायत सेक्रेटरी और ग्राम सचिव की मौजूदगी होना अनिवार्य होगा.
शराबबंदी के लिए यह है शर्तें
आबकारी विभाग के नियमानुसार, जिस भी गांव में पिछले दो साल के दौरान एक बार भी अवैध शराब की बिक्री का मामला पकड़ा गया होगा तो उस पंचायत को शराब ठेका बंद करने की अनुमति नहीं मिलेगी. इसके अलावा भविष्य में गांव में अवैध शराब बिक्री रोकने की पूरी जिम्मेदारी पंचायत की होगी. किसी गांव में गुरुकुल है तो वहां शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा. इसके अलावा, स्कूल और मंदिर से 100 मीटर क्षेत्र में शराब का ठेका नहीं खोला जा सकता है.
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