चंडीगढ़ । हरियाणा में आशा वर्कर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से सेवा नियम तय कर लिए गए हैं. अब इस नए नियम के तहत आशा वर्कर बनने के लिए महिला का दसवीं पास होना जरूरी है. यानी अगर किसी महिला के पास दसवीं पास करने का सर्टिफिकेट नहीं है तो वह आशा वर्कर नहीं बन सकती. बता दें यह नए नियम मेवात को छोड़कर पूरे हरियाणा में आशा वर्कर्स पर लागू होंगे. साथ ही आशा वर्कर के लिए एक निश्चित उम्र सीमा तय की गई.
मेवात जिले में यह नई शर्त पांचवी कक्षा तक रखी गई है. बता दें आशा वर्कर की नियुक्ति जिला स्तर पर होती है. इसमें शिकायत आ रही थी कि चयन केवल जानकार व सिफारिश के आधार पर किया जा रहा है. इसके अलावा कई जिलों में 70 से 75 साल की महिलाओं का भी चयन आशा वर्कर के रूप में किया जा रहा था. और उनके स्थान पर परिवार का कोई और सदस्य काम करता है. ऐसे में बढ़ती शिकायतों को देखते हुए मिशन में कार्यरत समिति सेवा नियमों में बदलाव किया है. प्रदेश में 20,000 से अधिक आशा वर्कर्स है.
20 साल नौकरी करने के बाद ले सकेंगे वीआरएस
नए सेवा नियमों के तहत अगर कोई आशा वर्कर 20 साल तक नौकरी पूरी करती है. तो वह वीआरएस ले सकती है. इसके साथ आशा वर्कर को एक मुश्त ₹20000 की राशि दी जाएगी. इससे पहले ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी.
आशा वर्कर्स को डिजिटल स्पीकर देने का प्रस्ताव
एनएचएम हरियाणा ने आशा वर्कर को मोबाइल के बाद आप डिजिटल स्टीकर देने का प्रस्ताव तैयार किया है और इसमें केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजा है इस प्रस्ताव के तहत सभी आशा वर्कर्स को एक-एक लाउडस्पीकर दिए जाने हैं ताकि उन्हें किसी जानकारी को पूरे मोहल्ले व बत्ती में पहुंचाने के लिए भागदौड़ ना करनी पड़े. वही एनएचएम कि पहलों को गांव स्तर पर सफल बनाने में आशा वर्कर्स जमीनी स्तर पर अहम भूमिका अदा करती हैं.
वही आशा वर्कर की नियुक्ति व सेवानिवृत्त को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं बनाए गए थे. लेकिन अब नियुक्ति में पारदर्शिता और मेरिट आधार पर नए नियम बनाए गए हैं. नियुक्ति के साथ ही वीआरएस की व्यवस्था भी की गई है.
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