हरियाणा के इन मुख्यमंत्रियों का रोचक रहा है किस्सा, बतौर CM नहीं बचा पाए थे विधायकी

चंडीगढ़ | हरियाणा में 14वीं विधानसभा चुनाव के लिए शेड्यूल जारी हो गया है. ऐसे में प्रदेश की राजनीति का जिक्र करें, तो यहां आपको काफी रोचक किस्से सुनने को मिलेंगे. यहां के वोटर्स के मिजाज को भांपना इतना आसान नहीं है. मतदाता कब, किस नेता को पलकों पर बैठा लें और कब किस नेता को पटखनी दे, इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल ही रहा है.

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मुख्यमंत्री रहते नहीं बचा पाए थे विधायकी

बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए यहां के कई नेताओं ने दोबारा सरकार बनाने के लिए विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी, लेकिन 5 बार के सीएम रहें ओमप्रकाश चौटाला और चौधरी बंसीलाल को छोड़कर अन्य जिस भी मुख्यमंत्री ने सीएम रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा, वो दोबारा भले ही सत्ता की कुर्सी पर काबिज न हो सकें हो परंतु अपनी विधायकी बचानें में सफल अवश्य रहे हैं.

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5 बार के मुख्यमंत्री ने झेली हार

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने नरवाना हल्के से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 1859 वोटों की हार के साथ उन्हें अपनी विधायकी गंवानी पड़ी थी. इससे पहले 1987 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल को कांग्रेस प्रत्याशी धर्मवीर सिंह ने 2186 वोटों से पटखनी दी थी. वो भी अपनी विधायकी बचानें में असफल रहे थे.

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हुड्डा समेत ये मुख्यमंत्री जीते चुनाव

2005 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने भुपेंद्र हुड्डा को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया था और वह लगातार 2 बार प्रदेश के सीएम रहें. इसके बाद, 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने में असफल रही, लेकिन भुपेंद्र हुड्डा ने विधायक का चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे.

वहीं, साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत हासिल किया और मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद, 2019 के चुनाव में भी बीजेपी ने जजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी और मनोहर लाल दोबारा मुख्यमंत्री बने. हालांकि, इसी साल उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर केंद्र सरकार में उर्जा मंत्री बनें.

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मनोहर लाल की जगह मुख्यमंत्री बनाए गए नायब सैनी ने करनाल उपचुनाव में जीत हासिल की. अब बतौर मुख्यमंत्री रहते उनके सामने फिर से विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती रहेगी. क्या नायब सैनी विधायकी बचानें में सफल रहते हैं या फिर बंसीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की श्रेणी में शामिल होकर इस रोचक किस्से का हिस्सा बनेंगे.

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