चंडीगढ़ । प्रदेश सरकार ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने हेतु परिवार पहचान पत्र (फैमिली आईडी) अनिवार्य करने का आधार तैयार कर लिया है. इसके लिए सोमवार को विधानसभा के मानसून सत्र में बिल पेश किया गया. विधेयक के अनुसार किसी योजना, सब्सिडी, सेवा या अन्य कोई लाभ उठाने हेतु पात्रों के लिए परिवार पहचान पत्र नंबर मांगा जा सकता है.
हालांकि पात्र लोगों को वैकल्पिक दस्तावेज जमा कराने की अनुमति रहेगी लेकिन सरकार चाहेगी तो दस्तावेजों की जांच हो सकती है. इसके लिए शुल्क चुकाना होगा. फैमिली आईडी का डाटा लीक करने पर 3 से 10 साल की सजा और 50 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं गलत जानकारी देकर लाभ उठाने वाले लोगों को भी 3 साल सजा व 50 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा.
क्या परिवार पहचान पत्र अनिवार्य किया गया है?
फिलहाल अनिवार्य नहीं किया गया है. लेकिन किसी सेवा, स्कीम या सब्सिडी के लिए इसकी अनिवार्यता का अधिकार सरकार को मिल जाएगा. पात्र वैकल्पिक दस्तावेज जमा करा सकेंगे लेकिन सरकार जांच कराती है तो फीस चुकानी होगी.
डेटा लीक रोकने के लिए क्या किया गया है ?
डेटा लीक करने पर 3 से 10 वर्ष तक की कैद और 50 लाख रुपए तक जुर्माना राशि का प्रावधान किया गया है. प्रदेश सरकार हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण का गठन करेगी जिसकी कमान खुद मुख्यमंत्री संभालेंगे. इसमें एक उपाध्यक्ष और पांच विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा. मुख्य सचिव, राजस्व विभाग के प्रधान सचिव,वित विभाग के प्रधान सचिव सदस्य होंगे. सीईओ इसके सदस्य सचिव होंगे. अपराध किसी कंपनी की तरफ से किया जाएगा तो उसके निदेशक, प्रबंधक व सचिव भी दोषी होंगे और उनके विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज होगा. यदि कोई मृत या जीवित व्यक्ति की गलत जानकारी देकर योजना का लाभ उठा रहा है तो उसे तीन साल की सजा व 50 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा.
इस पहचान पत्र की जरूरत क्यों पड़ी ?
विभागों के पास परिवारों या लोगों के अलग-2 डाटा है. स्कीम के अनुसार उसी के तहत लाभ देने का नियम है. कई बार अपात्र भी लाभ उठा लेते हैं. इसलिए परिवारों का डाटा एक जगह करने के लिए परिवार पहचान पत्र बनाएं गए हैं. यही डाटा सभी विभाग इस्तेमाल करेंगे.
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