चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के प्रधानों को लेकर फिलहाल बड़ा फैसला लिया है. खट्टर सरकार ने अब प्रधानों की आहरण एवं संवितरण (ड्राइंग डिस्बर्समेंट पावर) डीडी शक्ति समाप्त कर दी है. अब प्रधान किसी भी विकास कार्य या अन्य मद में होने वाले खर्च के चेक पर हस्ताक्षर भी नहीं कर पाएंगे. इस सरकार के अहम फैसले को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से पत्र भी जारी कर िदया है. अधिसूचना के तहत अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अधिकारी या सचिव और लेखा प्रभारी अधिकारी संयुक्त रूप से चेक पर सिग्नेचर कर सकेंगे.
सरकार की ओर से दी गई राहत
हालांकि सरकार की ओर से कुछ राहत भी प्रदान की गई है. अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि विकास कार्यों के अलावा नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं द्वारा कराए जाने वाले किसी भी कार्य की स्वीकृति पहले की तरह ही रहेगी. विकास कार्यों की मंजूरी पहले की तरह प्रधान और पार्षद बोर्ड के पास ही रहेगी.
नियमों में किया गया है संशोधन
एक करोड़ तक के विकास कार्यों के साथ-साथ किसी भी टेंडर में प्राक्कलन के पांच प्रतिशत से अधिक दर की मंजूरी का अधिकार मुखिया की अध्यक्षता में गठित वित्त एवं अनुबंध समिति के पास होता है. शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 की धारा 257 की उपधारा एक और दो में नगर निगम लेखा संहिता 1930 में संशोधन किया है.
नाराज हुए प्रधान व पार्षद
प्रदेश सरकार की ओर से आहरण एवं संवितरण (डीडी) शक्ति समाप्त करने से यह बात प्रधानों व पार्षदों को रास नहीं आई. जिसके कारण प्रधानों व पार्षदों का गुस्सा फूटने लगा है. शुक्रवार को कई जगहों पर इसका विरोध किया गया लेकिन मनोहर लाल सरकार की ओर से फिलहाल किसी प्रकार की कोई बयानबाजी जारी नहीं की गई है.
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