चंडीगढ़ | सतलुज- यमुना लिंक यानी SYL नहर के निर्माण के मुद्दे पर हरियाणा की बीजेपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लगातार की जा रही मजबूत पैरवी का ही नतीजा है कि अब हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार ने लगातार सुप्रीम कोर्ट में एसवाईएल के पानी की पुरजोर वकालत की.
मामले में अब तक क्या हुआ
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वयं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के साथ उच्च स्तरीय बैठकों और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में पंजाब के हरियाणा को पानी न देने के रुख को प्रभावी ढंग से उठाया. हरियाणा ने बार- बार कहा है कि वह पंजाब से कोई मदद नहीं, बल्कि अपने हिस्से का पानी मांग रहा है. पानी की मात्रा घटाना-बढ़ाना अलग बात है, लेकिन पंजाब को न सिर्फ अपने हिस्से की नहर बनानी चाहिए, बल्कि अपने हिस्से का पानी भी हरियाणा को देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकीलों ने बार- बार पंजाब के रुख की जानकारी दी. इस मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की 2 से 3 बार मुलाकात हो चुकी है लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने को तैयार नहीं थे.
एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
ये तथ्य हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिकॉर्ड पर रखे थे. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक की जानकारी भी सुप्रीम कोर्ट में रखी गई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री और अधिकारी इस मुद्दे को एजेंडे में लाने को तैयार नहीं हैं. वे पानी नहीं और पानी बांटने की बात करते हैं, जबकि पानी बंटवारे के लिए अलग से ट्रिब्यूनल बना हुआ है.
एसवाईएल का पानी मिलने की उम्मीद जगी
ट्रिब्यूनल की सिफ़ारिशों के अनुसार पानी का वितरण किया जा सकता है. यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने अमृतसर और जयपुर में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में भी पंजाब ने एसवाईएल का पानी देने को लेकर हरियाणा के प्रति कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने के लिए कहने के बाद हरियाणा को अपने हिस्से का पानी मिलने की उम्मीद है.
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