चंडीगढ़ | अब पानी की कमी को दूर करने के लिए हरियाणा ने नई तरकीब अपनाई है. बता दे कि अब हरियाणा हिमाचल प्रदेश से मदद लेगा. अंतरराज्यीय जल मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के मुख्य सचिव दिल्ली में बैठक करेंगे. इस बैठक में हरियाणा की ओर से किसाऊ बांध के निर्माण को लेकर मांग रखी जाएगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ बैठक में सरकार द्वारा लगाए गए जल उपकर पर भी चर्चा की थी.
उन्होंने कहा था कि हिमाचल सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं पर लगाए गए सेस से हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होगा. सरकार द्वारा लगाया गया जल उपकर पानी पर नहीं बल्कि राज्य में संचालित करीब 172 जल विद्युत परियोजनाओं पर बिजली उत्पादन पर लगाया गया है. इससे पहले 2023 में अगस्त महीने के दौरान दोनों राज्यों के सीएम मनोहर लाल और सुखविंदर सुक्खू ने चंडीगढ़ में बैठक की थी. यह बैठक दोपहर 3 बजे हरियाणा निवास पर होगी.
सहमति नहीं बनने के बाद अब सीएस स्तर की बैठक
वॉटर सेस पर चंडीगढ़ में हुई अहम बैठक में हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच सहमति नहीं बन पाई. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात के बाद इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि हम अन्य मुद्दों पर सहमत हैं, लेकिन जल उपकर पर हम सहमत नहीं हैं. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह बैठक का पहला दौर था, यह दौर आगे भी जारी रहेगा. अब दोनों राज्यों के सचिव इस मुद्दे पर मंथन करेंगे.
पंजाब-हरियाणा ने जताया विरोध
पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने हिमाचल प्रदेश के इस जल उपकर का विरोध किया है. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान इसके खिलाफ प्रस्ताव भी पेश किया है. इस संबंध में सीएम मनोहर लाल ने केंद्र सरकार से भी बात की है. इसे लेकर केंद्र ने हिमाचल को चेतावनी दी है.
केंद्र ने इसके लिए एक पत्र भेजा था, जिसमें लिखा था कि ‘आप किसी भी अंतरराज्यीय समझौते का उल्लंघन नहीं कर सकते. साथ ही किसी भी प्रकार का जल उपकर नहीं लगाया जा सकता है, यदि राज्य ऐसा करता है तो केंद्र सरकार केंद्र द्वारा दिए जाने वाले सभी प्रकार के अनुदान बंद कर देगी.
वॉटर सेस पर हिमाचल का ये तर्क
हिमाचल प्रदेश की ओर से जल उपकर लगाने को लेकर तर्क दिया गया है कि सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर लगाया है. राज्य की करीब 175 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं पर जल उपकर से हर साल करीब 700 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा होंगे. पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने बिजली उत्पादन पर जल उपकर लगाने का फैसला किया है.
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