चंडीगढ़ | हरियाणा में विस चुनाव की गहमा-गहमी के बीच सरकार पराली प्रबंधन को लेकर पहले ही तैयारियों में जुट गई है. सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पराली प्रबंधन में सहयोग करने वाली गौशालाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. खेतों से धान की पराली उठाने की एवज में गौशालाओं को सरकार की ओर से 500 रूपए प्रति एकड़ यातायात खर्च की सहायता राशि प्रदान की जाएगी.
किसान को मिलेंगे 1,000 रूपए प्रति एकड़
उन्होंने बताया कि एक गौशाला को अधिकतम 15 हजार रूपए की सहायता राशि दी जाएगी. इसके लिए गौशाला का गौसेवा आयोग के साथ रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है. वहीं, किसानों को कृषि यंत्रों की मदद से धान की फसल अवशेषों का प्रबंधन करने पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा 1,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी.
ऐसे मिलेगा लाभ
विभागीय अधिकारी ने बताया कि पिछले साल की तरह इस बार भी स्ट्रा बेलर द्वारा फसल अवशेषों की गांठ बनवाने पर या फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र जैसे कि सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल एमबी प्लो, जिरो टिल सीड डील मशीन की मदद से फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाए जाने पर 1 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि विभाग द्वारा दी जाएगी.
किसानों को करना होगा ये काम
जो किसान स्ट्रा बेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल एमबी प्लो, जिरो टिल सीड डील, रोटावेटर व हैरो के माध्यम से फसल के अवशेषों का प्रबंधन करने पर सहायता राशि का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें विभागीय पोर्टल पर अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इसके अलावा मेरी फ़सल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है.
पराली प्रबंधन के ढेरों फायदे
बता दें कि धान फसल अवशेषों का प्रबंधन करने से जहां मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है तो वहीं मित्र कीट व पोषक तत्वों का नुक़सान होने से बचाया जा सकता है. इसके अलावा रासायनिक खाद पर होने वाले खर्चे में कमी आएगी. वहीं, किसान बेलर द्वारा पराली की गांठ बनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं.
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