चंडीगढ़ | हरियाणा में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस और BJP समेत बाकी दल भी अपना सब कुछ चुनावों की तैयारियों में लगा चुके हैं. प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पक्ष के साथ- साथ विपक्ष को भी चौंका दिया. मोदी लहर के भरोसे अबकी बार भी नैया पर लगने की उम्मीद में बैठी भाजपा को निराशा हाथ लगी, क्योंकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस को भी बराबर की 5 सीटें मिली. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियों आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सतर्क मोड में नजर आ रही है.
कांग्रेस के लिए आसान नहीं है राह
भारतीय जनता पार्टी जहां अबकी बार कोई कमी छोड़ना नहीं चाहेगी. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस अंतरकलह से परेशान है. पार्टी की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. अब कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद पर कुमार शैलजा ने भी अपना दावा पेश कर दिया है. उन्होंने कहा कि राजनीति में लोगों की व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर महत्वाकांक्षाएं होती हैं. वह राज्य में काम करना चाहती हैं, लेकिन इसका अंतिम फैसला हाई कमान के ऊपर है. दरअसल, कुमारी शैलजा ने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा का संकेत दिया. उन्होंने अबकी बार त्रिशंकु विधानसभा होने की संभावना को नकार दिया.
पार्टी में नहीं है गुटबाज़ी
एक कांग्रेस पार्टी के बीच चल रही गुटबाजी की बात को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान सभी लोग एक रूप में एकजुट होकर जमीनी स्तर पर काम करते हैं. उन्होंने कहा, “मैं बहुत व्यावहारिक हूं और मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से जवाब दूंगी. किसी भी संगठन में हमेशा धक्का- मुक्की और अपनी जगह बनाने की होड़ लगी रहती है. यह किसी भी संगठन का हिस्सा है और यह हमेशा रहेगा. महत्वाकांक्षा, काम करना, अपनी जगह बनाने की होड़, ये सब है. लेकिन ये तभी तक है जब तक कि टिकट घोषित नहीं हो जाते. मैं यह भी कहूंगी कि जब चुनाव आते हैं, हर कोई जमीनी काम में जुट जाता है. निश्चित रूप से, राज्य में मेरी भूमिका है. मैं इस बारे में कोई संकोच नहीं करती.”
सभी की है अपनी महत्वाकांक्षा
जब उनसे पूछा गया कि क्या हरियाणा कांग्रेस में सभी खेमे एक साथ नजर आएंगे तो उन्होंने कहा, “हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षा है. यह कांग्रेस खेमा है. आखिरकार सभी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.” जब उनसे यह पूछा गया कि आगामी चुनावों से पहले क्या उनकी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा की जाएगी. इस पर उन्होंने कहा, “जब आप सरकार में होते हैं तो जाहिर है कि जो व्यक्ति सीएम रह चुका होता है वही पार्टी का नेतृत्व करता है, लेकिन जब आप विपक्ष में होते हैं, तो पार्टी शायद ही कभी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करती है.”
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