चंडीगढ़ | जल की कमी से जूझ रहा हरियाणा अब इस समस्या से जल्द उभरने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगले पांच साल में राज्य को ऊपरी यमुना बेसिन से 2 लाख करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी मिलने लगेगा. हरियाणा ने पानीपत के पास मावी में बैराज बनाने की परियोजना पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है. अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण तीनों राज्यों को उनके हिस्से के अनुसार अधिक मात्रा में यमुना जल मिल सकता है.
यमुना में बाढ़ को रोकने में मिलेगी मदद
बर्बाद होने वाले पानी की मात्रा को सीमित करने से यमुना में बाढ़ को रोकने में भी मदद मिलेगी. इस अवधि के दौरान रेणुका, किशाऊ और लखवार बांध परियोजनाओं के पूरा होने की उम्मीद है, जिनके पानी का उपयोग कम पानी की उपलब्धता के मौसम में किया जा सकता है.
अभी तक सरकार का पूरा फोकस हर साल आने वाली बाढ़ से होने वाले जान- माल के नुकसान को रोकने पर रहता है. बाढ़ के कारण किसानों की करोड़ों रुपये की फसल नष्ट हो जाती है, जिससे मुआवजे के लिए सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. इस साल अब तक सरकार फसलों को हुए नुकसान के लिए 131 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी कर चुकी है.
उपचारित जल का होगा उपयोग
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीवेज जल का उपचार के बाद उपयोग बढ़ाने के लिए भी विशेष पहल की है. इस पानी का उपयोग कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए किया जा रहा है. अब तक 176 सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) का निर्माण किया जा चुका है, जो 2104 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) अपशिष्ट जल का उपचार कर सकते हैं. इससे 1429 एमएलडी उपचारित जल प्राप्त हो रहा है. दिसंबर 2028 तक सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए 100 प्रतिशत उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने का लक्ष्य है.
साढ़े 5 हजार तालाबों होंगे पुनर्जीवित
राज्य के 5454 तालाबों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया है. अंबाला, यमुनानगर, करनाल जैसे धान की खेती करने वाले 12 प्रमुख जिलों में धान की सीधी बुआई (डीएसआर) पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस विधि से पानी की खपत 15- 20 प्रतिशत कम हो जाती है. धान की सीधी बुआई करने पर सरकार किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है.
भूजल संरक्षण को दिया जा रहा बढ़ावा
जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने दूसरा काम भूजल संरक्षण की दिशा में किया है. राज्य में 80 प्रतिशत भूजल का उपयोग सिंचाई के लिये किया जाता है. इससे भूजल खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. भूजल प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए अटल भूजल योजना के माध्यम से भूजल संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. 723 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिससे 14 जिलों के 36 ब्लॉकों की 1656 ग्राम पंचायतों के भूजल स्तर में सुधार होगा.
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