सियासी भंवर में फंसी हरियाणा की बीजेपी सरकार का क्या होगा फ्लोर टेस्ट, पढ़ें ये पूरी रिपोर्ट

चंडीगढ़ | हरियाणा की बीजेपी सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थन वापस लेने पर सीएम नायब सैनी की कुर्सी पर सियासी संकट खड़ा हो गया है. विपक्षी दल नैतिकता की दुहाई देते हुए राज्यपाल से अल्पमत में आई सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उनकी सरकार अल्पमत में नहीं है.

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निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस पार्टी को समर्थन

मंगलवार को 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद, हरियाणा की राजनीति में सियासी भूचाल मचा हुआ है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बीजेपी सरकार अल्पमत में आ चुकी है और मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए. इसके साथ ही, गवर्नर से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की जा रही है.

दुष्यंत चौटाला की एंट्री

मंगलवार से शुरू हुए इस सियासी उठा- पटक में पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) की भी एंट्री हो चुकी है. चौटाला ने कहा कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर नायब सैनी सरकार अल्पमत में आ चुकी है और नैतिकता के आधार पर बीजेपी सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना चाहिए या फिर मुख्यमंत्री पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस मामले को लेकर गवर्नर को पत्र लिखेगी. जजपा मौजूदा बीजेपी सरकार को गिराने के पक्ष में हैं और इसके लिए समूचे विपक्ष का साथ देने को तैयार हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष भुपेंद्र हुड्डा सरकार गिराने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए.

हुड्डा ने मांगा लिखित में पत्र

वहीं, नेता प्रतिपक्ष भुपेंद्र हुड्डा ने दुष्यंत चौटाला के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि दुष्यंत चौटाला लिखकर दे कि वे सरकार गिराना चाहते है. क्योंकि उन्हें लगता है कि JJP दरअसल हरियाणा में भाजपा की B टीम है. साथ ही, उन्होंने बीजेपी सरकार से इस्तीफे की मांग करते हुए राज्य में तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर डाली.

सत्ता पक्ष भी हुआ हमलावर

वहीं, इस मामले में विपक्षी दल की आक्रामकता को देखते हुए सत्ता पक्ष ने कहा है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. सरकार पहले भी अल्पमत में नहीं थी और अब भी नहीं है. चुनावी मौसम में किसी के इधर- उधर जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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गवर्नर के पाले में डाली गेंद

हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर कहा कि विधानसभा में जो पहले स्थिति विधायकों की थी, वही अभी भी है. मुझे मीडिया से ही जानकारी मिली है. अभी तक लिखित में कोई जानकारी नहीं आई है. विधानसभा स्पीकर ने विधायकों के कांग्रेस को समर्थन देने पर कहा ये तकनीकी चीजें है, जिस पर फैसला राज्यपाल करेंगे.

स्पीकर ने कहा कि पहले अविश्वास प्रस्ताव के 6 महीने बाद ही दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार अल्पमत में है, ये नहीं कहा जा सकता. विधानसभा सत्र बुलाने पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल फैसला करेंगे, जो फैसला वो करेंगे वही मान्य होगा.

राजनीतिक जानकारों की राय

हरियाणा के सियासी उठा- पटक पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में 88 सदस्य हैं. इनमें से 43 सरकार के साथ और 45 विपक्ष में है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार अल्पमत में है. अब इन हालातों में विपक्ष गवर्नर से मिलकर मांग कर सकता है कि सरकार अल्पमत में है. वे विधानसभा की वर्तमान स्थिति के बारे में गवर्नर को जानकारी दे सकते हैं और फ्लोर टेस्ट के लिए सत्र बुलाए जाने की मांग कर सकते हैं. ऐसे हालातों में गर्वनर की भूमिका सबसे ज्यादा अहम हो जाती है.

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कांग्रेस इस स्थिति में करेगी राजभवन कूच

कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर राजभवन कूच तब करेगी, जब विपक्ष की कुल संख्या 45 हो जाएगी. इसके लिए कांग्रेस की JJP और INLD विधायक अभय चौटाला से सहमति होनी चाहिए और कोई लिखित डाक्यूमेंट तैयार होगा, तब कांग्रेस गर्वनर के दरवाजे पर दस्तक देगी. यहीं वजह है कि भूपेंद्र हुड्डा दुष्यंत चौटाला से सब लिखित में देने के लिए कह रहे हैं. बाकी सब गवर्नर पर निर्भर करता है कि वह चाहे तो इसे पेंडिंग रख सकते हैं क्योंकि अगले कुछ महीनों में हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है.

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